डीएनए हिंदी: Supreme Court on My Lord- सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान एक जज ने एक सीनियर वकील को अपना आधा वेतन देने का ऑफर कर दिया. यह चौंकाने वाली घटना एक केस की सुनवाई के दौरान तब हुई, जब जस्टिस एएस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच में शामिल जज जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने एक सीनियर वकील के सामने गुस्से में यह ऑफर रखा. दरअसल जज के बार-बार कहने पर भी वकील उन्हें 'माय लॉर्ड' कहकर पुकारते रहे. इस पर जज नाराज हो गए और कहा कि यदि आप ये कहना बंद कर देंगे तो मैं आपको अपना आधा वेतन दूंगा. जस्टिस नरसिम्हा के इस कमेंट से न्यायपालिका में ब्रिटिश शासन के दौरान के शब्दों के इस्तेमाल की चर्चा एक बार फिर गरम हो गई है.
क्या हुआ था पूरा मामला
दरअसल जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की डबल बेंच एक मामले की बुधवार को सुनवाई कर रही थी. एक पक्ष की तरफ से एक सीनियर वकील दलीलें रख रहे थे. अपनी दलीलों के दौरान वकील जजों को बार-बार 'माय लॉर्ड' और 'यॉर लॉर्डशिप' कहकर पुकारते रहे. इससे नाराज होकर जस्टिस नरसिम्हा ने वकील को बीच में ही रोक दिया. इसके बाद उन्होंने कहा, कितनी बार आप हमें 'माय लॉर्ड्स' कहेंगे? यदि आप यह कहना बंद करते हैं तो मैं आपको अपना आधा वेतन दूंगा. जस्टिस नरसिम्हा ने आगे कहा, आप इसके बजाय 'सर' का उपयोग क्यों नहीं करते? अन्यथा मैं गिनना शुरू कर दूंगा कि सीनियर वकील ने कितनी बार 'माय लॉर्ड्स' शब्द का उच्चारण किया है.
क्यों उठा इस शब्द पर विवाद?
दरअसल अंग्रेजों के भारत पर कब्जे के दौरान अदालतों का सिस्टम शुरू हुआ था. उस दौरान अदालतों में जजों को वकीलों द्वारा 'माय लॉर्ड' और 'यॉर लॉर्डशिप' कहकर पुकारे जाने का नियम था. आजादी के बाद अदालती सिस्टम में सरकारों ने किसी तरह का फेरबदल नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने भी जजों को पुकारे जाने के चलन को ऐसे ही बरकरार रखा. इसलिए वकील अपनी दलीलों के दौरान जज को संबोधित करने के लिए इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि बहुत सारे वकील इसे औपनिवेशिक युग का अवशेष और गुलामी की निशानी बताकर विरोध करते रहे हैं.
जस्टिस नरसिम्हा ने क्यों जताया ऐतराज?
दरअसल साल 2006 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) ने अदालती प्रक्रिया में गुलामी के दौर की निशानियों को मिटाने की कोशिश शुरू की थी. इसके चलते एक रेजोल्यूशन पास किया गया था, जिसमें तय हुआ था कि कोई भी वकील जजों को 'माय लॉर्ड' और 'यॉर लॉर्डशिप' कहकर संबोधित नहीं करेंगे. हालांकि BCI के रेजोल्यूशन के बावजूद वकीलों ने इन शब्दों का प्रयोग अब तक बंद नहीं किया है. इसी कारण जस्टिस नरसिम्हा इस शब्द के उपयोग पर ऐतराज जता रहे थे.
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