Joshimath Sinking: जोशीमठ संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार, कहा- HC में रखें अपनी बात

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 16, 2023, 03:51 PM IST

Joshimath Sinking

Supreme Court On Joshimath Land Subsidence: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि उत्तराखंड हाईकोर्ट में अपनी बात रखें.

डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालती हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) में सुनवाई चल रही है, इसलिए आप अपनी बात वहां रखें. दरअसल, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा जोशीमठ संकट पर तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की थी.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिंह और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट कही गई हर बात पर सुनवाई में सक्षम है. हमें लगता है कि याचिकाकर्ता को जोशीमठ संकट से जुड़ी जो भी बात है वहां रखनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है. कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय पहली ही इस मामले में कई आदेश पारित कर चुका है.

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बता दें कि बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और स्कीइंग के लिए मशहूर औली का प्रवेश द्वार जोशीमठ भू-धंसाव के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. जोशीमठ में जमीन धीरे-धीरे नीचे धंसती जा रही है. मकानों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को यह कहते हुए याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था कि स्थिति से निपटने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं हैं और सभी महत्वपूर्ण मामले उसके पास नहीं आने चाहिए. 

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राष्ट्रीय आपदा घोषित घोषित करने की मांग
दालत ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका को 16 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था. याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि यह संकट बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुआ है और उत्तराखंड के लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता एवं मुआवजा दिया जाना चाहिए. याचिका में इस चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था. याचिका में कहा गया कि मानव जीवन और उसके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है और अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो इसे युद्ध स्तर पर तुरंत रोकना राज्य एवं केंद्र सरकार का कर्तव्य है.’ 

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