डीएनए हिंदी: संसद भवन की नई इमारत के उद्घाटन (New Parliament Inauguration) को लेकर लंबे वक्त से जारी विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर की गई याचिका को आज कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिका को बेतुका बताया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लेकर यह तक कह दिया कि गनीमत है कि उन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने तक से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि यह याचिका क्यों दाखिल हुई. ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है.
याचिकाकर्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस याचिका से किसका हित होगा? याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश लोकसभा सचिवालय को दे. इतना ही नहीं इसमें यह भी कहा गया कि लोकसभा सचिवालय का बयान और लोकसभा के महासचिव का उद्घाटन समारोह के लिए जारी निमंत्रण भारतीय संविधान का उल्लंघन है.
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गनीमत है कि नहीं लगा रहे जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को नाराजगी जाहिर करते हुए तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि हम नीतिगत मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते. आप इस तरह की बेतुकी याचिका नहीं दाखिल करें. कोर्ट ने कहा कि गनीमत है कि हम आप पर जुर्माना नहीं लगा रहे, केवल याचिका ही खारिज कर रहे हैं.
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याचिकाकर्ता नहीं दे पाए जवाब
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेके महेश्वरी की अगुवाई वाली बेंच सुनवाई कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हम आप पर ऐसी याचिका दाखिल करने को लेकर जुर्माना भी लगाएंगे. याचिकाकर्ता जया सुकीन ने कहा कि सुन तो लीजिए कि राष्ट्रपति ही देश का सुप्रीम है. लेकिन वह अपनी दलीलों से कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर सकीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं.
किसने और क्या दायर की थी याचिका
बता दें कि यह जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने दाखिल की थी. इसमें कहा गया था कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है. ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है. याचिका में कहा गया था कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है. भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोकसभा शामिल हैं.
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इस याचिका में कहा गया था कि राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है. साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है. ऐसे में संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए. साथ ही इस मामले में लोकसभा सचिवालय के खिलाफ गंभीर आरोप भी लगाए गए थे.
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