डीएनए हिंदी: देश में बढ़ते हेट स्पीच के मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को नफरत फैलाने वाले भाषणों पर FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने 2022 के ही आदेश का दायरा बढ़ाया है. अपने नए आदेश में कहा है कि इस मामले में बिना किसी शिकायत के भी एफआईआर दर्ज करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को हेट स्पीच (Hate Speech) के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए धर्म की परवाह किए बिना गलती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें. सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ यूपी, दिल्ली और उतराखंड सरकार को ये आदेश दिया था. अब ये आदेश सभी राज्यों को दिया गया है. सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि हेट स्पीच राष्ट्र के ताने-बाने को प्रभावित करने वाला एक गंभीर अपराध है. ये हमारे गणतंत्र के दिल और लोगों की गरिमा को प्रभावित करता है.
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हेट स्पीच पर नहीं हो कोई समझौता
हेट स्पीच मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हेट स्पीच को लेकर आम सहमति बढ़ रही है और भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर हेट क्राइम की कोई गुंजाइश नहीं है." अदालत ने कहा, "हेट स्पीच को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता है." सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर राज्य अभद्र भाषा की समस्या को स्वीकार करता है तभी उसका एक समाधान निकाला जा सकता है.
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कर्नाटक चुनाव के बीच आया अहम फैसला
बता दें कि हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ऐसे वक्त में आया है जब कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रचार अपने चरम पर है. हाल ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान को हेट स्पीच बताते हुए कर्नाटक कांग्रेस ने एफआईआर दर्ज कराई थी. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहरीला सांप कहकर विवादित बयान दिया था. जिसको लेकर कर्नाटक की राजनीति में काफी बवाल मचा हुआ है.
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