क्या महिला भी रेप केस में बनाई जा सकती है आरोपी? सुप्रीम कोर्ट ढूंढेगा इसका जवाब, पंजाब सरकार को दिया नोटिस

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 02, 2023, 05:54 PM IST

सुप्रीम कोर्ट.

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को 61 साल की एक बुजुर्ग औरत के याचिका पर नोटिस देकर जवाब मांगा है, जो अपनी बहू की तरफ से दायर केस में फंसी हुई है.

डीएनए हिंदी: Punjab News- क्या एक महिला रेप केस में आरोपी बनाई जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट इस सवाल का परीक्षण करने पर तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम एक महिला की तरफ से दाखिल अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया है. 61 साल की बुजुर्ग महिला ने उस रेप केस में अपने लिए अग्रिम जमानत मांगी है, जिसमें उसका बेटा आरोपी बनाया गया है. याचिका दाखिल करने वाली महिला के खिलाफ उसकी बहू ने केस दर्ज कराया हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने महिला की याचिका पर पंजाब सरकार को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के बाद फैसला लेगा कि बुजुर्ग महिला पर रेप मामले में एक आरोपी के तौर पर मुकदमा चलाया जाए या नहीं.

महिला को दी गिरफ्तारी से राहत

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने महिला की याचिका पर सुनवाई की. बेंच ने महिला की तरफ से उठाए गए मुद्दे का परीक्षण करने का निर्णय लिया है. साथ ही इस मुद्दे पर फैसला आने तक महिला को गिरफ्तार नहीं किए जाने का निर्देश दिया है. हालांकि बेंच ने महिला को भी जांच टीम के साथ सहयोग करने के लिए कहा है. बेंच ने कहा, पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया जा रहा है, जिसका 4 सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करना होगा. तब तक याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जा रही है, लेकिन उनसे भी उम्मीद है कि वे अपराध की जांच कर रही टीम के साथ सहयोग करेंगी.

महिला के वकील ने उठाया था रेप में आरोपी बनाने का मुद्दा

इससे पहले बुजुर्ग महिला की तरफ से पेश हुए एडवोकेट ऋषि मल्होत्रा ने उनके खिलाफ दर्ज FIR की सभी धाराओं को लेकर बहस की. उन्होंने कहा कि FIR में सभी धाराएं जमानती है. केवल IPC की धारा 376 (2) (लगातार रेप) के तहत लगाया गया आरोप गैरजमानती है. इस धारा के तहत आरोप सिद्ध होने पर 10 साल से कम कैद की सजा नहीं हो सकती, जिसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है. एडवोकेट मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट के ही एक निर्णय का हवाला देते हुए दलील दी कि एक महिला रेप करने की आरोपी नहीं बनाई जा सकती है. इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का परीक्षण करने का निर्णय लिया है.

क्या है पूरा मामला

पुलिस FIR के मुताबिक, बुजुर्ग महिला विधवा है. उसका बड़ा बेटा अमेरिका और छोटा बेटा पुर्तगाल में रहता है. रेप का केस दर्ज कराने वाली महिला लंबे समय से बुजुर्ग महिला के बड़े बेटे के साथ लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में थी, लेकिन वे कभी नहीं मिले थे. बाद में दोनों ने वर्चुअल मैरिज कर ली और कथित रेप की पीड़िता ने उनके साथ रहना शुरू कर दिया. विधवा का छोटा बेटा पुर्तगाल से आया तो महिला और उसके परिवार ने झगड़ा शुरू कर दिया. जब छोटा बेटा पुर्तगाल वापस जाने लगा तो उन्होंने विधवा पर उसके साथ जाने का दबाव बनाया. विधवा के नहीं जाने पर दोनों परिवारों में तनाव पैदा हो गया. बाद में महिला ने 11 लाख रुपये लेकर विधवा के बड़े बेटे से शादी खत्म करने का समझौता किया. समझौता करने के बावजूद महिला स्थानीय पुलिस के पास गई और विधवा व उसके छोटे बेटे के खिलाफ कई बार रेप करने व अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज करा दिया. इसी मुकदमे में गिरफ्तारी से बचाव के लिए अग्रिम जमानत मांगने के लिए विधवा महिला सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. 

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