Swami Prasad Maurya ने सपा के सभी पदों से क्यों दिया इस्तीफा? गिना दी एक-एक वजह

नितिन शर्मा | Updated:Feb 13, 2024, 08:02 PM IST

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पूर्व ही भाजपा को छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. मौर्य ने इस्तीफा पत्र सोशल मीडिया अकाउंट पर भी पोस्ट किया है. 

विवादित बयानों को लेकर राजनीतिक गलियारों से लेकर जनता के बीच चर्चा में रहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि मैं पार्टी से नाराज नहीं हूं, पार्टी के उन बयानों से नाराज हूं, जो कार्यकर्ता के मनोबल को तोड़ते हैं. इसलिए सभी पदों इस्तीफा दे रहा हूं और एक सदस्य बनकर पार्टी को मजबूत करता रहूंगा. स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya Resign) ने पदों से इस्तीफे का पत्र सोशल मीडिया अकाउंट (Social Media Account) पर भी साझा किया है. स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे की जानें वजह

2022 में ही सपा में हुए थे शामिल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के (Uttar Pradesh Election 2022) चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गये थे. इस पर सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने उन्हें समाजवादी पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का पद सौंपा था. मंगलवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय महासचिव पद के अलावा पार्टी में मिले अन्य पदों से इस्तीफा दे दिया हैं. उन्होंने इसकी वजह भी बताई. साथ ही कहा कि वह पार्टी में एक सदस्य के रूप में लगातार काम करते रहेंगे. 

इस्तीफा की वजह बताने के साथ ही दिए सुझाव 

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने अपने इस्तीफे की एक कॉपी सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की है. उन्होंने इसमें इस्तीफे की वजह बताने के साथ ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को लेकर नाराजगी जताई और सुझाव भी दिये हैं. उन्होंने इसमें लिखा कि  जातिगत जनगणना, आरक्षण बचाने, बेरोजगारी कम करने व संविधान बचाने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को रथ यात्रा निकालनी चाहिए. अखिलेश यादव इस तरह की यात्रा शुरू करने पर सहमति भी जता चुके हैं, लेकिन उन्होंने यह यात्रा शुरू नहीं की. 

ये है इस्तीफे के साथ नाराजगी की वजह

स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफे पत्र में लिखा कि सपा में मैं बिना किसी समझौते के शामिल हुआ. मैंने पार्टी को मजबूत करने के लिए कदम भी बढ़ाया है, लेकिन पार्टी द्वारा मेरे प्रति भेदभाव किया जा रहा है. मेरे बयानों का समर्थन करने या चुप रहने के बजाये. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मेरे बयानों को ​निजी विचार कहकर कार्यकर्ताओं के मनोबल तोड़ने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव होते हुए मेरा कोई भी बयान निजी विचार नहीं हो सकता. 

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