डीएनए हिंदी: तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने मंत्री वी सेंथिल बालाजी को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया. राज भवन ने अपने आदेश में कहा है कि सेंथिल बालाजी नौकरी के बदले में नकदी लेने और धन शोधन समेत भ्रष्टाचार के कई मामलों में गंभीर आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग कर वह जांच को प्रभावित और कानून तथा न्याय की उचित प्रक्रिया में बाधा डालते रहे हैं.
राज्यपाल ने अपने आदेश में कहा, 'अभी वह एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून और भारतीय दंड संहिता के तहत कुछ अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज हैं जिनकी जांच राज्य पुलिस कर रही है.'
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राज्यपाल ने अपने आदेश में कहा है, 'ऐसी आशंका है कि वी सेंथिल बालाजी के मंत्रिपरिषद में बने रहने से निष्पक्ष जांच समेत कानून की उचित प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर होगा जिससे राज्य में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त हो सकता है. इन परिस्थितियों के तहत राज्यपाल ने सेंथिल बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया है.'
क्या है वह केस जिसमें हाथ से गया मंत्रीपद?
सेंथिल बालाजी जिस केस में फंसे हैं, वह स्कैम 2011 से 2015 के बीच हुआ है. बालाजी तब AIDMK के मंत्री थे. राज्य परिवहन विभाग में नौकरी के बदले रिश्वत लेने का उन पर आरोप है. बालाजी दिवंगत जे जयललिता के नेतृत्व वाली पिछली अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान परिवहन विभाग के मंत्री थे.
2018 में मेट्रो ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (MTC) के एक कर्मचारी ने बालाजी के खिलाप शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप था कि उन्होंने घूस के तौर पर 4.25 करोड़ रुपये की रिश्वत ली है.
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आरोप सामने आने के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था. एमटीसी में कई स्तर पर नौकरियों में धांधली हुई थी. बालाजी के खिलाफ तीन FIR दर्ज की गईं और बाद में चार्जशीट तैयार की गई. ईडी ने जुलाई 2021 में बालाजी और अन्य के खिलाफ पीएमएलए केस दर्ज किया और जांच शुरू की.
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