Telangana Politics: कांग्रेस पर गरम, बीजेपी पर नरम, कौन सा राजनीतिक दांव खेल रहे हैं के चंद्रशेखर राव?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 14, 2023, 05:27 PM IST

तेलंगाना के मुख्यमंत्री KCR.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर अब बदली-बदली राजनीतिक चाल चल रहे हैं. तीसरे मोर्चे की कवायद करने वाले केसीआर की राजनीति अब बदल गई है.

डीएनए हिंदी: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के कांग्रेस को निशाना बनाने और बीजेपी पर चुप रहने की नई रणनीति से इस साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज कर दी हैं.

पिछले एक सप्ताह के दौरान मुख्यमंत्री केसीआर ने राज्य में तीन जनसभाओं को संबोधित किया और सभी में कांग्रेस पार्टी की आलोचना की, लेकिन, बीजेपी को छोड़ दिया. हालांकि केसीआर की इस नई रणनीति पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कोई हैरानी नहीं जताई. उनका मानना है कि केसीआर का बीजेपी के साथ हमेश गुप्त समझौता रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद अली शब्बीर ने कहा, 'कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद, बीजेपी और बीआरएस ने खुद को एक कदम पीछे खींच लिया है. केसीआर अब कांग्रेस को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखते हैं, जो उन्हें हरा सकती है.'

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BJP पर नरम, कांग्रेस पर गरम हैं केसीआर

मोहम्मद अली शब्बीर ने कहा है कि उन्हें आश्चर्य नहीं है कि केसीआर ने बीजेपी को बख्शते हुए अपने हमलों के लिए कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.

एक सप्ताह में निर्मल, नागरकुर्नूल और गडवाल में हुई जनसभाओं में केसीआर के भाषणों ने राजनीतिक गलियारों को चकित कर दिया है. इन सभाओं में केसीआर ने कांग्रेस पर तो खूब हमला किया, लेकिन बीजेपी की आलोचना करने से परहेज किया.

बदल गए हैं राजनीतिक तौर-तरीके

केसीआर के भाषणों की विषय-वस्तु, लहजा और तेवर नवंबर-दिसंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले उनकी रणनीति में बदलाव का संकेत देते हैं.

क्या BRS और KCR के बीच हुआ है समझौता?

शब्बीर ने कहा, यह और कुछ नहीं, बल्कि बीआरएस और बीजेपी के बीच समझौते का हिस्सा है. बीजेपी CBI, ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने की धमकी देकर लगभग हर राज्य में एक ही रणनीति का इस्तेमाल कर रही है. CBI और ईडी ने हाल ही में दिल्ली शराब नीति मामले में केसीआर की बेटी पूर्व सांसद और अब राज्य विधायक के. कविता से पूछताछ की थी.

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कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी ने इसी प्रकार की रणनीति आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी पर भी अपनाई, जिनके के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले CBI में लंबित हैं. शब्बीर ने कहा, बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ छोटे दलों का इस्तेमाल करती रही है. इसमें कोई नई बात नहीं है.

बीजेपी पर नरम क्यों हैं केसीआर?

हाल की जनसभाओं में, बीआरएस प्रमुख ने कांग्रेस पार्टी की आलोचना की और लोगों से पार्टी को बंगाल की खाड़ी में फेंकने का आह्वान किया. कुछ समय पहले, केसीआर बीजेपी के लिए इसी तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे.

कांग्रेस नेताओं के इस वादे पर की अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह धरनी पोर्टल को खत्म कर देगी, केसीआर कांग्रेस पर पलटवार किया. नागरकुरनूल में 6 जून को जनसभा में उन्होंने कहा, ''धरनी पोर्टल को बंगाल की खाड़ी में फेंकने की बात करने वालों को बंगाल की खाड़ी में फेंक देना चाहिए.''

केसीआर से नाराज हैं किसान

राजस्व प्रणाली में बड़े पैमाने पर सुधार के तहत बीआरएस सरकार ने 2020 में सभी भूमि रिकॉर्ड के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में धरनी पोर्टल लाई थी. हालांकि, कांग्रेस पार्टी का दावा है कि धरनी ने भूमि मालिकों, विशेषकर किसानों की समस्याओं को बढ़ा दिया.

नागरकुर्नूल में अपनी जनसभा में केसीआर ने कांग्रेस पर चौतरफा हमला करते हुए कहा कि धरनी को निरस्त करके वह राजस्व प्रशासन में बिचौलियों और भ्रष्टाचार के शासन को वापस लाना चाहती है.

BJP पर चुप्पी साध रहे हैं केसीआर

बीआरएस प्रमुख, हालांकि, बीजेपी पर चुप थे, जिसके नेता धरनी के समान रूप से आलोचक हैं. केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने पिछले महीने कहा था कि केसीआर परिवार और बीआरएस धरनी पोर्टल का इस्तेमाल कर लोगों को लूट रहे हैं.

पिछले दो वर्षों में अपनी अधिकांश जनसभाओं में, केसीआर ने नफरत की राजनीति से लेकर तेलंगाना के खिलाफ भेदभाव समेत कई मुद्दों पर बीजेपी और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया था. लेकिन जनसभाओं में बीजेपी पर उनकी चुप्पी ने राजनीतिक अटकलों को तेज कर दिया है.

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि केसीआर के लिए कांग्रेस नंबर एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रही. वे कहते हैं कि कांग्रेस द्वारा तेलंगाना को अलग राज्य बनाने पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के कांग्रेस में विलय के अपने वादे से मुकर कर केसीआर ने कांग्रेस के साथ 'विश्वासघात' किया था.

शब्बीर ने कहा, बीजेपी पर केसीआर के हमले लोगों को गुमराह करने के लिए नाटक थे. हर कोई जानता है कि बीजेपी का तेलंगाना में कोई अस्तित्व नहीं है. कांग्रेस पार्टी के राज्य भर में कार्यकर्ता हैं.

कांग्रेस का बढ़ा मनोबल, कहां-कहां दिखेगा असर?

कांग्रेस नेता ने कहा कि कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद पार्टी का मनोबल बढ़ा है. शब्बीर ने कहा, केसीआर डरे हुए हैं, क्योंकि कांग्रेस पार्टी मजबूत हो गई है और नेता अपने सभी मतभेदों को खत्म कर एक साथ आए हैं और आने वाले चुनावों के लिए तैयार हैं.

कर्नाटक चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस पार्टी में नया उत्साह भर दिया है और उसके नेताओं ने दावा किया कि परिणाम तेलंगाना में दोहराया जाएगा. केसीआर के बेटे और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव ने कहा है कि कर्नाटक चुनाव परिणाम का तेलंगाना पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कर्नाटक में बीजेपी की चुनावी हार के मद्देनजर बदले हुए राजनीतिक समीकरणों के कारण केसीआर ने अपना रुख बदला हो सकता है.

BJP को लगा है बड़ा झटका

दो विधानसभा उपचुनावों में अपनी जीत और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) चुनावों में प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद, बीजेपी ने कांग्रेस को मुख्य राजनीतिक विपक्ष के रूप में हटा दिया था. पड़ोसी राज्य में चुनाव से पहले तेलंगाना में बीजेपी आक्रामक मुद्रा में थी, लेकिन चुनावी हार ने पार्टी के मनोबल को झटका दिया है.

बीजेपी, जो पिछले कुछ वर्षों से खुद को बीआरएस के एकमात्र व्यवहार्य विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है, अब बैकफुट पर दिखाई दे रही है. भगवा पार्टी में अंदरूनी कलह ने उसके भरोसे को एक और झटका दिया है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीआरएस छोड़ने वाले या हाल के दिनों में पार्टी से निष्कासित किए गए नेता अब राज्य में बदलते राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस को तरजीह दे सकते हैं. (इनपुट: IANS)

 

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