डीएनए हिंदी: भगवंत मान की कैबिनेट में पंजाब के माझा क्षेत्र से चार विधायक पहली बार चुने गए हैं लेकिन कुछ प्रमुख चेहरे कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने से निराश हैं और अब 'मान' के कैबिनेट विस्तार में जगह मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. भोआ से लाल चंद कटारुचक, जंडियाला से हरभजन सिंह ईटीओ, अजनाला से कुलदीप सिंह धालीवाल और पट्टी से लालजीत सिंह भुल्लर विधानसभा चुनाव जीते हैं. उन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया है लेकिन शानदार जीत हासिल करने वाले अन्य विधायक जीवनजोत कौर, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक कुंवर विजय प्रताप सिंह और डॉ. इंदरबीर सिंह निज्जर को जगह नहीं मिली है.
नवजोत सिंह सिद्धू को दी शिकस्त
अमृतसर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीवनजोत कौर ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया सहित कई दिग्गजों को पछाड़ दिया था. जबकि कुंवर विजय प्रताप ने अमृतसर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री अनिल जोशी को हराया था. इसी तरह निज्जर ने अमृतसर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के प्रभावशाली उम्मीदवार और तीन बार के विधायक इंद्रबीर सिंह सोलारिया के खिलाफ चुनाव लड़ा था.
माझा के दो मंत्री कटारुचक और धालीवाल क्रमशः भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी से जुड़े थे और अतीत में विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय रूप से जुड़े थे. हरभजन सिंह ईटीओ शिक्षक से एक्साइज और टेक्सेशन अधिकारी बने थे.
हरभजन सिंह ने राजनीति में शामिल होने के लिए सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले वह 2017 में आप के टिकट पर जंडियाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन कांग्रेस पार्टी के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार सुखविंदर सिंह डैनी से हार गए थे. कमीशन एजेंट और किसान लालजीत सिंह भुल्लर आप में शामिल होने से पहले कांग्रेस और शिअद (बी) में रह चुके हैं.
विचारधारा से भटकने का आरोप
एचएस फूलका, सुखपाल खैरा सहित कुछ नेताओं ने आप छोड़ दी थी. उन्होंने आप के नेतृत्व को चुनौती देकर उनपर विचारधारा और सिद्धांतों से भटकने का आरोप लगाया था. कहा जाता है कि पंजाब कैबिनेट का निर्णय राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने किसी भी खतरे से बचने के लिए सभी संभावनाओं की गणना करने के बाद लिया है.
हालांकि जीवनजोत, कुंवर और निज्जर जैसे कैबिनेट से बाहर रह गए लोगों को अभी भी इसके पहले विस्तार में कैबिनेट में शामिल किए जाने की उम्मीद है.
(रवींद्र सिंह रॉबिन 20 वर्षों से पत्रकारिता में हैं. वह नियमित रूप से विभिन्न प्लेटफार्म्स पर राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं.)