डीएनए हिंदी: Nal Jal Yojna News- मध्य प्रदेश के राजगढ़ के माना गांव में मातम पसरा हुआ है. इस गांव के तीन दलित युवकों की मौत हो गई है, जिसका कारण बनी है पीएम मोदी के फ्लैगशिप प्लान जल जीवन मिशन के तहत राज्य सरकार की नल जल योजना. शायद आपको यह सुनकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यही सच है. मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की सरकार जिस योजना के लिए हर घर की टोंटी में पानी पहुंचाने की वाहवाही दिल्ली तक लूट रही है, हकीकत में उनकी सफलता महज दस्तावेजी है. यह बात माना गांव के तीन युवकों की कुएं की सफाई करते समय हुई मौत से साबित हो गई है. दरअसल माना गांव के घरों में टोंटी तो पहुंच गई, लेकिन इससे पानी की बूंद टपकने का कई साल बाद भी इंतजार है. इसके चलते ग्रामीणों को आज भी कुएं के सहारे ही अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है.
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प्यास बुझाने वाले कुएं ही घोंट रहे दम
करीब 3 हजार की आबादी वाले माना गांव में भी सरकार ने नल जल योजना के तहत पानी की टोंटियां लगवाई थीं. करीब डेढ़ सौ घरों वाले गांव की टोंटियों में आज तक पानी नहीं पहुंचा है. इसके चलते लोगों ने अपने घरों में कुएं खुदवा रखे हैं, जिनकी बार-बार सफाई करनी पड़ती है. प्यास बुझाने वाले यही कुएं सफाई के समय जहरीली गैसों के कारण दम घोंट रहे हैं. गांव के जिन 3 दलित युवकों के शव कुएं में मिले हैं, वे भी सफाई करने के लिए ही अंदर उतरे थे.
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नाराज ग्रामीण बोले 'तीन घरों के चिराग बुझे'
कुएं में युवकों के शव मिलने पर ग्रामीण बेहद नाराज हैं. ग्रामीण गांव में मातम के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जल संकट ने तीन घरों के चिराग बुझा दिए हैं. कुएं में मौत का शिकार हुए ओमप्रकाश अहिरवार (30 वर्ष), कांताप्रसाद अहिरवार (30 वर्ष), विष्णु अहिरवार (24 वर्ष) अपने-अपने घरों को चलाने वाले मजबूत कंधे थे, जो अब दुनिया से चले गए.
'जल संकट ने ली है जान'
राजगढ़ के माना गांव में पहुंची जी न्यूज की टीम को हर घर में एक कुआं पाया. ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि गांव में पानी संकट है, इसीलिए घरों में कुआं खोदकर पानी स्टोर करने की मजबूरी है. ग्रामीणों ने साफ कहा कि यदि सरकार की जल जीवन मिशन योजना गांव में चल रही होती तो 3 लोगों की मौत ना हुई होती.
जल जीवन नहीं, यहां है संकट
कहा जाता है जल ही जीवन है. जल है तो कल है, लेकिन यही जल माना गांव के लोगों के लिए संकट भी है. टोंटियों में पानी नहीं आने के कारण प्यास बुझाने के लिए पानी जुटाने का संकट. पानी जुटाने के लिए कुएं खोदने का संकट. कुओं की सफाई करने का संकट और फिर इन कुओं की सफाई करते समय जान को खतरे का संकट. आजादी के बाद से ही जल संकट से जूझ रहे माना गांव में सरकार की योजना के दम तोड़ने से संकट ही संकट है.योजना कागजों पर दौड़ गई. लेकिन, जमीन पर योजना ने दम तोड़ा हुआ है.
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