डीएनए हिंदीः भाजपा के विजय रथ के निर्बाध दौड़ने की एक बड़ी वजह ये भी है कि विरोध करने वाला विपक्षी खेमा किसी ताश के पत्तों की भांति बिखरा हुआ है. इसका उदाहरण 2014 के बाद लगभग प्रत्येक चुनाव में दिखा है. इस स्थिति से परिचित होने के बावजूद विपक्ष भाजपा के खिलाफ एकजुट नहीं हो पा रहा है बल्कि भाजपा के 'कांग्रेस मुक्त भारत' के नारे को साकार करने में टीएमसी ने योगदान देना शुरु कर दिया है. एक तरफ टीएमसी अपने विस्तार में लगी है, तो दूसरी ओर कांग्रेस को कमजोर कर रही है, जिसका हालिया संकेत कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद के टीएमसी में शामिल होने की संभावनाओं से मिलता है.
ममता दे रही हैं झटका
ममता के दिल्ली दौरे के साथ ही ये कयास लगने लगे थे कि कांग्रेस को इस दौरे में कुछ झटका लग सकता है, जिसका संकेत कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद के जरिए मिल रहा है. खबरों की मानें तो कीर्ति आजाद कांग्रेस से नाराज हैं और इसीलिए वो टीएमसी का दामन थाम सकते हैं. ये माना जा रहा है कि वो ममता की मौजूदगी में ही ज्वॉइनिंग करेंगे. कीर्ति आजाद को शामिल कर ममता कांग्रेस को सीधा आपसी रार का संकेत दे रही हैं, जो कि उनके भविष्य के रोडमैप का हिस्सा भी है.
नेतृत्व हथियाने की कोशिश
ममता बनर्जी कांग्रेस के लिए लगातार चुनौती बनती जा रही हैं और ऐसा नहीं है कि कीर्ति आजाद कांग्रेस से टीएमसी में शामिल होने वाले पहले नेता होंगे. टीएमसी (TMC) बंगाल एवं बंगाल के बाहर कांग्रेसी नेताओं को हथियाने के लिए काम कर रही है. टीएमसी कांग्रेस के नेताओं को शामिल कर कांग्रेस के मैदान पर ही अपनी जमीन मजबूत करने के प्रयास कर रही है. असम में कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने पार्टी छोड़ टीएमसी ज्वॉइन की, तो उन्हें असम एवं त्रिपुरा के चुनावी समर की जिम्मेदारी दे दी गई.
इसी तरह टीएमसी गोवा में कांग्रेस के पैरों से जमीन खिसकाने की तैयारी कर रही है. गोवा के पूर्व सीएम एवं कांग्रेस विधायक लुइजिन्हो फलेरियो ने भी कांग्रेस छोड़ टीएमसी का दामन थाम लिया है. नतीजा ये कि गोवा में भाजाप एवं कांग्रेस के बीच होने वाला मुकाबला अब त्रिकोणीय हो गया है. वहीं पिछले चुनाव में भले ही आप का प्रदर्शन गोवा में फीका रहा हो किन्तु ये माना जा रहा है कि इन विधानसभा चुनाव में आप भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है.
टीएमसी के कांग्रेस विरोधी इस रवैए के चलते भाजपा का 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा सार्थक हो सकता है, क्योंकि टीएमसी भले ही भाजपा से लड़ रही हो किन्तु इन दोनों की लड़ाई में नुकसान कांग्रेस का ही हो रहा है.