डीएनए हिंदीः भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से देश में शोक की लहर है. सोमवार को राज्यसभा में स्वर कोकिला और सदन की पूर्व सदस्य लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान वेंकैंया नायडू ने शोक संदेश भी पढ़ा. उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर के निधन से, देश ने भारतीय संगीत और फिल्म उद्योग की दुनिया में एक महान पार्श्व गायिका, एक दयालु इंसान और एक महान व्यक्तित्व खो दिया है. उनके निधन से एक युग का अंत हुआ और संगीत की दुनिया में अपूरणीय शून्य पैदा हो गया. राज्यसभा में सदस्यों ने एक मिनट का मौन रखा.
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राज्यसभा की रहीं सांसद
लता मंगेशकर 1999 से 2005 तक राज्यसभा सांसद के तौर पर देश की सेवा की थी. उन्हें 22 नवंबर, 1999 को राज्यसभा का मनोनीत संसद सदस्य घोषित किया गया था. अपने 6 सालों के कार्यकाल में उन्होंने वेतन के भेजे गए चेक को कभी स्वीकार नहीं किया और हमेशा वापस भेज दिया. एक आरटीआई में खुलासा हुआ कि लता मंगेशकर के वेतन से संबंधित मामले में वेतन-लेखा कार्यालय से लता को भेजे गए सभी चेक वापस आ गए. इसके अलावा लता मंगेशकर ने कभी भी सांसद पेंशन के लिए भी आवेदन नहीं किया था. यहां तक कि उन्होंने नई दिल्ली में सांसदों को दिए जाने वाले घर को भी ठुकरा दिया.
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संसद में भी लता मंगेशकर की गूंजी थी आवाज
लता मंगेशकर की सुरीली आवाज संसद में भी सुनाई दी थी. स्वतंत्रता दिवस की 50वीं सालगिरह के मौके पर 14-15 अगस्त 1997 को संसद पूरा भरा हुआ था. संसद में जैसे ही उन्होंने ‘सारे जहां से अच्छा’ गाना शुरू किया तो पूरा सदन उनकी सुरीली आवाज से गूंज उठा. लता मंगेशकर की इस पुरानी याद को लोकसभा के ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है.