डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने त्रिपुरा (Tripura) में एक बार फिर मास्टरस्ट्रोक (Masterstroke) चला है. शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर साबित किया है कि सत्ता विरोधी लहर को दबाने के लिए मुख्यमंत्री बदल देना आसान विकल्प है.
BJP ने पार्टी के भीतर बिप्लव कुमार देब (Biplab Kumar Deb) के खिलाफ चल रहे गुस्से को भी दबा दिया और राज्य के विधानसभा चुनाव में नए चेहरे पर चुनाव लड़ने की पुरानी रणनीति भी दोहरा दी. यह रणनीति पहले भी बेहद सफल रही है.
बिप्लब कुमार देब ने शनिवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके कुछ घंट के भीतर ही पार्टी की राज्य विधायक दल ने माणिक साहा (Manik Saha) को अपना नया नेता चुन लिया.
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5 राज्यों में बीजेपी ने बदल दिए हैं मुख्यमंत्री
उत्तराखंड (Uttarakhand) में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलने का दांव सफल रहा था. बीजेपी ने फिर सोचा कि एक बार और त्रिपुरा में इसी रणनीति पर काम करते हैं.त्रिपुरा में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं.
बीजेपी ने 2019 के बाद से गुजरात और कर्नाटक सहित 5 मुख्यमंत्रियों को बदला है. मणिक साहा पूर्वोत्तर से कांग्रेस के ऐसे चौथे पूर्व नेता हैं जो बीजेपी में शामिल होने के बाद क्षेत्र में मुख्यमंत्री बनेंगे. बीजेपी अब सत्ता में रहने के लिए पुराने कांग्रेसी नेताओं को भी मुख्यमंत्री बनाने से परहेज नहीं कर रही है.
कांग्रेसी बैकग्राउंड को नेता बनाने से परहेज नहीं करती BJP
असम के हिमंत बिस्व सरमा, अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू और मणिपुर में एन बीरेन सिंह ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो पहले कांग्रेस में थे. विपक्ष ने हालांकि बीजेपी पर अपने मुख्यमंत्रियों को हटाने के लिए निशाना साधा है.
राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह परिवर्तन पार्टी नेतृत्व ने जमीनी विश्लेषण के बाद किया है. पुराने मुख्यमंत्री के खिलाफ जनभावनाएं और पार्टी के कार्यकर्ता जा रहे थे. ऐसे में विधानसभा चुनावों में कोई नुकसान न हो, पार्टी ने मुख्यमंत्री बदलने का फैसला किया है.
क्यों मुख्यमंत्री बदल देती है BJP?
बीजेपी के एक नेता ने कहा कि पिछले दो-तीन साल में मुख्यमंत्रियों को बदले जाने के पीछे तीन वजहें जिम्मेदार हैं. ये हैं- जमीन पर काम, संगठन को अच्छी स्थिति में रखना और नेता की लोकप्रियता.
कैसे हुई थी मुख्यमंत्री बदलने की शुरुआत?
2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्रियों को उनके हिसाब से काम करने की स्वतंत्रता देने के पक्ष में रहे हैं. रणनीति बदलने की शुरुआत झारखंड से हुई. झारखंड विधानसभा चुनावों में बीजेपी हार गई थी. मुख्यमंत्री रघुबर दास ने अपनी सीट गंवा दी थी. यहीं से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को एहसास हुआ कि चेहरों को बदलने से सियासत चमकती है.
सूत्रों के मुताबिक चुनाव नतीजों की घोषणा के कुछ दिनों के भीतर ही बीजेपी अपने पूर्व नेता बाबूलाल मरांडी को वापस ले आई, जिन्होंने अपना खुद का राजनीतिक दल बना लिया था. पिछले साल सितंबर में बीजेपी ने विजय रूपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया था. भूपेंद्र पटेल, पाटीदार समुदाय से आते हैं जो सूबे की सियासत में सबसे ताकतवर जाति है.
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कर्नाटक और असम में भी पुराना दांव असरदार!
कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलते हुए बीजेपी ने लिंगायत समुदाय से आने वाले बी एस येदियुरप्पा की जगह एक दूसरे लिंगायत नेता बसवराज एस बोम्मई को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया था. बीजेपी ने उत्तराखंड में दो ठाकुर मुख्यमंत्रियों की जगह एक दूसरे ठाकुर नेता को मुख्यमंत्री बना दिया.
असम में पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने पांच साल मुख्यमंत्री रहे सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया था. ऐसा कहा जा रहा था कि हिमंत बिस्वा सरमा को उनकी मेहनत का तोहफा बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से मिला था.
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