डीएनए हिंदी: कांग्रेस के लिए नई मुश्किल छत्तीसगढ़ से आई है. लंबे समय से छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) से तनातनी के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार में मंत्री टी एस सिंह देव (T S Singh Deo) ने पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया है. अपने इस्तीफे में उन्होंने भूपेश बघेल को लिखा है कि 'व्यवस्था में बदलाव' नहीं किया जा सका है जिसकी वजह से लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. इस पूरी घटना पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी तंज कसा है. बीजेपी नेता और पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में भी महाराष्ट्र और पंजाब जैसी बगावत शुरू हो चुकी है और मंत्री आक्रोशित हैं. उन्होंने यह भी कहा कि टी एस सिंहदेव नंबर दो की हैसियत रखते हैं लेकिन आज वह हताश और निराश हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, वह लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्रीय कार्यान्वयन, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग के मंत्री बने रहेंगे. टीएस सिंहदेव ने अपने इस्तीफे में कहा है, 'जन-घोषणा पत्र की विचारधारा के हिसाब से अहम विषयों को दृष्टिगत रखते हुए, मेरा यह मत है कि विभाग के सभी लक्ष्यों को समपर्ण भाव से पूर्ण करने में वर्तमान परिस्थितियों में स्वयं को असमर्थ पा रहा हूं. इस वजह से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भार से मैं अपने आप को अलग कर रहा हूं. आपने मुझे शेष जिन विभागों की जिम्मेदारी दी है उन्हें अपनी पूर्ण क्षमता और निष्ठा से निभाता रहूंगा.'
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PM आवास योजना बनी वजह?
सिंहदेव ने इस्तीफे में कहा है, 'प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्रदेश के बेघर लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था, जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया था लेकिन इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी. इसका नतीजा यह हुआ कि राज्य के लगभग आठ लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाए जा सके. मुझे दुःख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका.'
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इसके अलावा, उन्होंने विभाग और शासन के कामकाज को लेकर कहा है, 'किसी भी विभाग के अधीन विवेकाधीन योजनाओं के अंतर्गत कार्यों की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के मंत्री का अधिकार है लेकिन समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति के लिए 'रूल्स ऑफ बिजनेस' के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गई. इसपर मेरे द्वारा समय-समय पर लिखित रूप से आपत्ति दर्ज करायी गई लेकिन अबतक व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ.’सिंहदेव ने आरोप लगाया है कि एक साजिश के तहत मनरेगा का कार्य करने वाले रोजगार सहायकों से हड़ताल करवाकर राज्य में मनरेगा के कार्यों को प्रभावित किया गया, जिसमें सहायक परियोजना अधिकारियों (संविदा) की भूमिका स्पष्ट रूप से निकल कर आई है.
सीएम पद को लेकर ही है सारा झगड़ा?
टीएस सिंहदेव राज्य के सरगुजा क्षेत्र के अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में यह फॉर्मूला सामने आया था कि भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे. सिंहदेव के समर्थकों का कहना है कि आलाकमान ने उनसे ढाई वर्ष मुख्यमंत्री पद का वादा किया था. हालांकि, किसी ने इस दावे की सार्वजनिक तौर पर पुष्टि नहीं की.
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सिंहदेव के इस्तीफा देने के प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की मुख्य विपक्षी बीजेपी ने इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ‘तानाशाही’ रवैए का प्रमाण करार दिया है. छत्तीसगढ़ प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है, 'सिंहदेव द्वारा एक विभाग छोड़ना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तानाशाही का प्रमाण है. मुख्यमंत्री न खुद कोई काम कर रहे हैं और न ही मंत्रियों को करने दे रहे हैं. इसी से तंग आकर मंत्री सिंहदेव ने पंचायत विभाग छोड़ दिया है. सिंहदेव को स्वास्थ्य मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि इस विभाग में भी उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा है.'
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि सिंहदेव एक ऐसे मंत्री है जिन्होंने सरकार को यहां तक लाने में (कांग्रेस पार्टी की जीत में) महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके धैर्य की सीमा टूट गई है. इससे सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री के बीच कैसा संबंध है पता चल रहा है. रमन सिंह ने कहा, 'सरकार के वरिष्ठतम मंत्री को अपने विभाग में काम करने का अधिकार नहीं है. यह स्थिति सभी मंत्रियों की है. सिंहदेव ने इस्तीफा दे दिया है, अन्य मंत्री भी नाराज हैं. लग रहा है जैसी स्थिति महाराष्ट्र में बनी थी कि सरकार धरी रह गई और सारे लोग बगावत कर गए, वही स्थिति यहां भी बनेगी.'
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