डीएनए हिंदी: चुनाव आयोग ने सोमवार को शिवसेना का नाम और पार्टी का सिंबल तीर-कमान एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया. इसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर भूचाल आ गया. चुनाव आयोग के इस फैसले को जहां एकनाथ शिंदे बालासाहेब और शिवसैनिकों की जीत बता रहे हैं. वहीं, उद्धव ठाकरे इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं. उद्धव ने कहा कि सरकार की दादागिरी चल रही है. इस लड़ाई में उसने पूरे सिस्टम को उतार दिया था. उन्होंने चुनाव आयोग के इस फैसले को लोकतंत्र के लिए घातक बताया है.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि एकनाथ शिंदे गुट ने हमारे 'तीर-कमान' चिह्न को चुरा लिया है, लेकिन लोग इस चोरी का बदला लेंगे. उन्होंने ने दावा किया कि भारत में कोई लोकतंत्र नहीं बचा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह घोषणा करनी चाहिए कि देश में तानाशाही शुरू हो गई है. हम एकनाथ शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता देने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग का फैसला लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है. निर्वाचन आयोग के फैसले से संकेत मिलता है कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव जल्द ही घोषित किए जाएंगे.
जीत राम की ही होगी- उद्धव
उद्धव ठाकरे ने कहा कि पहले हमारे पास कोई निशान नहीं था, यह तीर कमान बालासाहेब ठाकरे ने बनाया था और ये अपनी ताकत दिखाएगा. उद्धव ने कहा कि राम और रावण दोनों के पास धनुष बाण था, लेकिन जीत भगवान राम की हुई. ये लड़ाई हम आखिरी तक लड़ेंगे, हिम्मत नहीं हारेंगे. उनका झूठ बेनकाब होगा जिन्होंने निशान को चुराया है. उन्होंने कहा कि कौरव 100 भी एक साथ आ जाएं लेकिन जीत पांडवों की हुई थी. जनता सब देख रही है.
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वहीं, एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग के इस फैसले को सच्चाई और लोगों की जीत बताया है. उन्होंने कहा, ‘मैं निर्वाचन आयोग को धन्यवाद देता हूं. लोकतंत्र में बहुमत का महत्व होता है.’ शिंदे ने कहा कि यह बालासाहेब की विरासत की जीत है. हमारी शिवसेना वास्तविक है. हमने बालासाहेब के विचारों को ध्यान में रखते हुए पिछले साल महाराष्ट्र में (भारतीय जनता पार्टी के साथ) सरकार बनाई.’
'धनुष बाष को उद्धव ने रख दिया था गिरवी'
उद्धाव ठाकरे के चोर वाले बयान पर शिंदे ने कहा कि 50 विधायक, 13 सांसद और लाखों कार्यकर्ता चोर हैं क्या? पहले आप (उद्धव ठाकरे) आत्मचिंतन करो कि ये नौबत क्यों आई है. क्योंकि आपने 2019 में बालासाहेब ठाकरे के विचारों को बेच दिया था और धनुष-बाण को गिरवी रखा था, इसे हमने छुड़ाया है.
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शिंदे गुट के पक्ष में पड़े 76 फीसदी वोट
बता दें कि चुनाव आयोग ने अपने 78 पन्नों के आदेश में पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और पार्टी का चिह्न ‘तीर-कमान’ एकनाथ शिंदे गुट को सौंपा दिया. इसने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में शिंदे गुट को आवंटित ‘‘बालासाहेबंची शिवसेना’’ का नाम और ‘‘दो तलवारें और ढाल’ के चिह्न पर तत्काल प्रभाव से रोक लग जायेगी और इसका उपयोग नहीं किया जाएगा. आयोग ने कहा कि साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के 55 विजयी उम्मीदवारों में से एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों के पक्ष में लगभग 76 फीसदी मत पड़े. जबकि 23.5 प्रतिशत मत उद्धव ठाकरे धड़े के विधायकों को मिले थे. आयोग ने कहा कि प्रतिवादी (ठाकरे गुट) ने चुनाव चिह्न और संगठन पर दावा करने के लिए पार्टी के 2018 के संविधान पर बहुत भरोसा किया था, लेकिन पार्टी ने संविधान में संशोधन के बारे में आयोग को सूचित नहीं किया था.
आयोग ने कहा कि शिवसेना का 2018 में संशोधित किया गया संविधान आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. आयोग ने कहा कि उसने पाया कि पार्टी का संविधान, जिस पर ठाकरे गुट पूरा भरोसा कर रहा था, वह अलोकतांत्रिक था. यह पहली बार है जब ठाकरे परिवार ने 1966 में बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी का नियंत्रण खो दिया है.
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