डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव 2024 (General Election 2024) से पहले एक बड़ा राजनीतिक बदलाव हुआ है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली शिवसेना (Shiv Sena) ने बाबा साहेब आंबेडकर (B R Ambedkar) के पोते प्रकाश आंबेडकर (Prakash Ambedkar) की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी (Vanchit Bahujan Aghadi) के साथ हाथ मिला लिया है. इसके साथ ही महाराष्ट्र में 'शिव शक्ति' और 'भीम शक्ति' एक साथ आ गए हैं, जिसे नया राजनीतिक समीकरण माना जा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस गठबंधन का राज्य की राजनीति में बेहद असर होने वाला है, जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव भाजपा की हिंदुत्ववादी राजनीति पर पड़ेगा.
राज्य में अगले साल बृहनमुंबई नगर निगम (Brihanmumbai Municipal Corporation) के चुनाव हैं, जबकि उसके बाद साल 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election 2024) भी होने हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि ठाकरे-आंबेडकर का गठबंधन इन चुनावों तक टिका रहा तो महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से सोशल रिफार्म्स का एजेंडा जिंदा हो सकता है, जो राज्य की प्रोग्रेसिव पॉलिटिक्स का कोर एजेंडा रह चुका है.
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अभी हाथ मिले, गठबंधन की शर्तें तय होना बाकी
VBA और शिवसेना (UBT) ने आपस में हाथ जरूर मिला लिए हैं, लेकिन उनके बीच गठबंधन का स्वरूप किस तरह का होगा, ये तय होना बाकी है. इसके संकेत प्रकाश आंबेडकर ने इस गठबंधन की जानकारी के साथ दिए. उन्होंने कहा, उद्धव ठाकरे ने कुछ दिन पहले गठबंधन का विषय उठाया था. हमने वीबीए के अंदर चर्चाओं के दौर के बाद शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ साझेदारी करने का निर्णय लिया है. उन्होंने हालांकि साथ ही कहा कि गठबंधन का स्वरूप और शर्तें ठाकरे द्वारा तय की जाएंगी. इनमें सीट-शेयरिंग अरेंजमेंट जैसे मुद्दे भी हैं, जिन पर बाद में निर्णय होगा.
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MVA का भविष्य भी ठाकरे को तय करना होगा
ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट फिलहाल कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के साथ महाविकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन में है. ठाकरे इस गठबंधन में भी बने रहेंगे या नहीं इसे लेकर प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि यह बात ठाकरे को ही तय करनी है कि वे Congress-NCP के साथ गठबंधन में VBA को चौथा पार्टनर बनाएंगे या शिवसेना और VBA अलग से गठबंधन में रहेंगे. हालांकि शिवसेना (ठाकरे) के सूत्रों ने कहा कि उद्धव ने MVA के मौजूदा गठबंधन को बरकरार रखते हुए उसमें नया पार्टनर शामिल करने का निर्णय लिया है.
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भाजपा के लिए क्यों चिंताजनक है ये गठबंधन
महाराष्ट्र में शिवसेना (ठाकरे) और वीबीए के बीच गठबंधन भाजपा के लिए चिंता की बात हो सकती है, जो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाली बालासाहेबांची शिवसेना (Balasahebanchi Shiv Sena) के साथ गठबंधन में हैं. इस गठबंधन में तीसरी पार्टी केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले (Ramdas Athavale) की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (A) है.
भाजपा इसी कारण चिंता में है, क्योंकि यदि ठाकरे VBA को कांग्रेस-एनसीपी के साथ MVA में जगह दिलाने में सफल हो जाते हैं तो इससे OBC, मराठा के साथ ही दलित वर्ग के सेक्युलर वोट इस गठबंधन के फेवर में आ जाएंगे. इससे पहले भाजपा मराठा बनाम ओबीसी के ध्रुवीकरण को अपने लिए एडवांटेज के तौर पर इस्तेमाल करती रही है. लेकिन फिलहाल एक भी विधायक या सांसद नहीं होने के बावजूद प्रकाश आंबेडकर की पार्टी VBA का महाराष्ट्र के ओबीसी वर्ग में अच्छा प्रभाव है. इसका नजारा साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिखा था, जब कम से कम 8 से 10 सीट पर वीबीए के कारण विपक्ष के वोटों में बिखराव हो गया था. भाजपा ने 23 और उसके सहयोगी दलों ने 18 सीट जीती थीं. इसके बाद विधानसभा चुनाव में भी सेक्युलर वोट का बंटवारा कांग्रेस, एनसीपी और वीबीए के बीच होने से भाजपा ने इन लोकसभा क्षेत्रों में 32 विधानसभा सीट जीती थी. अब नए समीकरण के बाद ये दोहराना भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगा.
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