डीएनए हिंदी: Row Over UCC- केंद्र सरकार की 'एक देश, एक कानून' मुहिम पर तकरार शुरू हो गई है. देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को कानूनी चुनौती देने की तैयारी की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक रैली में समान कानून की वकालत करने के कुछ ही घंटे बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर यह फैसला लिया है. पर्सनल लॉ बोर्ड ने तय किया है कि विधि आयोग के सामने भी समुदाय की राय रखी जाएगी, जिसमें वकीलों व कानूनी विशेषज्ञों की तरफ से तैयार किए गए पॉइंट्स पेश किए जाएंगे. उधर, कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर भाजपा का विरोध करने की तैयारी कर ली है.
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पीएम मोदी ने रैली में कही थी यह बात
पीएम मोदी ने मंगलवार को भोपाल में आयोजित रैली में कहा था कि एक देश में दो कानून काम नहीं कर सकते. उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि संविधान में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात दर्ज है. साथ ही कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानून बनाने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा था कि मुस्लिमों को राजनीतिक दल वोटबैंक की राजनीति के चलते भड़काया जा रहा है, लेकिन भाजपा ने तुष्टिकरण की राह पर नहीं चलने का फैसला लिया है.
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तीन घंटे चली पर्सनल लॉ बोर्ड की इमरजेंसी मीटिंग
प्रधानमंत्री मोदी की रैली के बाद मंगलवार देर रात को मुस्लिम लॉ बोर्ड ने इमरजेंसी मीटिंग की. करीब 3 घंटे लंबी वर्चुअल मीटिंग के दौरान लॉ बोर्ड के मेंबर्स ने UCC को कानूनी चुनौती देने के पहलू पर बात की. इसके बाद समान कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय की राय विधि आयोग के सामने रखने का निर्णय लिया गया. यह राय वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों की तरफ से तैयार की गई है, जिसमें यूसीसी के खिलाफ कानूनी पॉइंट्स शामिल किए गए हैं. बता दें कि विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए कंसल्टेशन प्रोसेस चालू किया हुआ है, जिसमें सभी लोगों से उनकी राय मांगी गई है.
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मानसून सत्र में संसद में आ सकता है बिल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार की योजना मानसून सत्र के दौरान संसद में यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़ा बिल पेश करने की है. पिछले साल UCC लागू करने के लिए पैनल घोषित करने की मांग वाला प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया गया था. इस बिल का विपक्षी दलों ने भारी विरोध किया था. इससे पहले भी ऐसे बिल पेश करने की कोशिश होती रही है, लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण वे ऊपरी सदन तक नहीं पहुंच सके हैं.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब ऐसे कानूनों का एक समूह तैयार करना है, जो देश में हर किसी पर समान रूप से लागू होंगे. इस कोड के लागू होने के बाद शरीयत जैसे धर्म आधारित पर्सनल लॉ की कानूनी अहमियत नहीं रह जाएगी. संविधान के अनुच्छेद 44 में भी सरकार को पूरे देश में एकसमान कानून लागू करने का आदेश दिया गया है.
विपक्षी दल बता रहे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश
विपक्षी दल भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की चर्चा को असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश बता रहे हैं. उनका आरोप है कि मोदी सरकार इसके जरिये आम जनता का ध्यान बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों से भटकाना चाहती है ताकि चुनाव में उसका वोटबैंक बना रहे.
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