Nobel Prize विजेता कैलाश सत्यार्थी के गुनहगार दोषी करार, 20 साल बाद मिला न्याय, जानिए पूरा मामला

Written By अभिषेक शुक्ल | Updated: Mar 08, 2024, 02:04 PM IST

Nobel Prize विजेता Kailash Satyarthi.

कैलाश सत्यार्थी ने एक सर्कस में काम करने वाली नाबालिग लड़कियों का रेस्क्यू किया था. उनकी टीम पर सर्कस मालिक ने धावा बोल दिया था. अब इस केस में 20 साल बाद इंसाफ हुआ है.

नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) पर 20 साल पहले हमला करने के दो आरोपियों को सजा मिली है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोंडा (Gonda) जिले की एक अदालत ने दो लोगों को दोषी ठहराया है. कैलाश सत्यार्थी ने पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से 20 साल पहले सर्कस में काम करने वाली नाबालिग लड़कियों को छुड़ाया था.

ग्रेट रोमन सर्कस के मालिक रजा मोहम्मद खान और उसके प्रबंधक शफी खान को कोर्ट ने दोषी ठहराया है. कोर्ट ने बुधवार को निर्देश दिया कि दोनों को एक साल के लिए अच्छे आचरण की परिवीक्षा पर रिहा किया जा सकता है. उन्हें इस अवधि में कोई भी कानून नहीं तोड़ना होगा.
 


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नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी'बचपन बचाओ आंदोलन' चलाते हैं. कैलाश सत्यार्थी के दोषियों को 'सदाचरण की परिवीक्षा' पर रिहा किया जा सकता है.

कैलाश सत्यार्थी ने इंसाफ पर जताई खुशी
कैलाश सत्यार्थी ने अभियुक्तों को दोषी करार दिए जाने पर खुशी जताई है. उन्होंने X पर लिखा, '20 साल की लंबी, अपमानजनक और महंगी कानूनी लड़ाई के बाद आज कुख्यात सर्कस के मालिक और प्रबंधक को गोंडा की अदालत ने दोषी ठहराया.;

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कहा?
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता  अवनीश धर द्विवेदी ने कहा, 'जून 2004 में जिले के कर्नलगंज कस्बे में संचालित ग्रेट रोमन सर्कस के मालिक रजा मोहम्मद खान और प्रबंधक शफी खान उर्फ शरीफुद्दीन के विरुद्ध 15 जून 2004 को 'बचपन बचाओ आंदोलन' के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी, उनके पुत्र भुवन और सहयोगियों रमाकांत राय तथा राकेश सिंह पर जान से मारने की नीयत से हमला करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था.'


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कैलाश सत्यार्थी ने किसे बचाया था?
अवनीश धर द्विवेदी ने बंधुआ मजदूरी प्रणाली अधिनियम की धाराएं भी मुकदमे में जोड़ी गई थीं. अवनीश द्विवेदी ने बताया कि अभियुक्तों पर आरोप था कि उन्होंने अपने सर्कस में काम करने वाली नेपाली और पूर्वोत्तर राज्यों की कुल 11 लड़कियों को छुड़ाने के लिए छापा मारने पहुंची टीम पर हमला किया था.

स्थानीय पुलिस के साथ आए कैलाश सत्यार्थी और उनके सहयोगियों पर जान से मारने की नीयत से हमला किया था. उनके अनुसार स्थानीय पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय भेजा था. 

अवनीश द्विवेदी ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर कोर्ट) राजेश नारायण मणि त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बुधवार को दोनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया था. 

बचाव पक्ष के वकील ने क्या कहा?
सजा पर बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दी, 'अभियुक्तगण अब बुजुर्ग हो चुके हैं. उनका सर्कस भी काफी पहले बंद हो चुका है. इससे पूर्व उनके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा भी दर्ज नहीं था इसलिए उन्हें अच्छे चाल-चलन के मद्देनजर रिहा कर दिया जाए.'

 


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सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि इस पर न्यायाधीश ने दोनों अभियुक्तों को एक वर्ष के 'सदाचरण की परिवीक्षा' पर इस शर्त पर रिहा करने का निर्देश दिया कि वे इस दौरान अच्छा आचरण बनाए रखेंगे, अन्य कोई अपराध नहीं करेंगे. 

पुलिस की मौजूदगी में अपराधियों ने सरिया-डंडों से पीटा
कैलाश सत्यार्थी और उनके साथियों को पुलिस की मौजूदगी में सरिया और डंडों से पीटा गया था. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो सर्कस के शेर को उन पर छोड़ने के लिए पिंजरा तक खोल दिया गया था, मगर मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने उसे किसी तरह बंद कर दिया था. इस दौरान बाल श्रम करने वाली नेपाल, दार्जिलिंग एवं अन्य स्थानों से लाई गई 11 किशोरियों को मुक्त कराया गया था. (इनपुट: भाषा)

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