डीएनए हिंदी: उत्तराखंड इन दिनों भक्ति और श्रद्धा से सराबोर है. एक तरफ चार धाम यात्रा चल रही है तो दूसरी तरफ से आज से हेमकुंड साहिब के कपाट भी खुल रहे हैं. इसके लिए शनिवार, 21 मई को श्रद्धालुओं का पहला जत्था पंच प्यारों की अगुवाई में गोविंदघाट से रवाना किया जा चुका है. रविवार सुबह से पंच प्यारों की अगुवाई में ही यह जत्था हेमकुंड साहिब पहुंचना शुरू हो गया है.
सुबह 10.30 बजे खुलेंगे कपाट
रविवार को सुबह साढ़े दस बजे विधि विधान से सिक्खों के प्रसिद्ध तीर्थ हेमकुंड साहिब के कपाट खोल दिए जाएंगे. इसे लेकर तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं. कोरोना के दो साल बाद हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा शुरू हो रही है. ऐसे में एक दिन में पांच हजार तीर्थयात्रियों को ही हेमकुंड साहिब जाने की अनुमति दी गई है. गोविंदघाट में चिकित्सकों के परामर्श के बाद ही तीर्थयात्रियों को आगे की यात्रा के लिए रवाना किया जा रहा है.
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19 मई को पहला जत्था हुआ था रवाना
गौरतलब है कि इससे पहले 19 मई को उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऋषिकेश से यात्रियों के पहले जत्थे को रवाना किया था. दो साल बाद यह अवसर मिलने से श्रद्धालुओं में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है.
देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु
उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में स्थित हेमकुंड साहिब में दर्शन के लिए देश-विदेश से हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. यह तीर्थ स्थल समुद्र तल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां साल में 7-8 महीने बर्फ जमी रहती है और मौसम बहुत ही सर्द होता है. हेमकुंड संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- बर्फ का कुंड. इसी कुंड के किनारे सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा है.
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