डीएनए हिंदी: Uttarakhand Tunnel Collapse Latest News- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों तक छठे दिन भी नहीं पहुंचा जा सका है. पल-पल बीतने के साथ ही सिलक्यारा स्थित सुरंग में फंसे मजदूरों के सुरक्षित निकलने की संभावना कम होती जा रही है, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीम अभी हिम्मत हारने को तैयार नहीं है. शुक्रवार को छठे दिन रेस्क्यू ऑपरेशन को उस समय झटका लगा, जब सुरंग के अंदर और ज्यादा मलबा गिरने के चलते काम बीच में रोकना पड़ा. मलबे के अंदर पाइप डालकर रास्ता बना रही ऑगर मशीन को कई घंटे बंद रखना पड़ा है. हालांकि देर शाम मशीन दोबारा चालू हो गई है. उधर, NHIDCL के अधिकारियों ने दावा किया है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाने के लिए इंदौर से एक और मशीन मंगाई गई है, जो शनिवार सुबह तक उत्तराखंड पहुंच जाएगी.
मलबे में 5वां पाइप डालते समय होने लगा भूस्खलन
सुरंग में मजदूरों तक पहुंचने के लिए मलबे के अंदर पाइप डाले जा रहे हैं. अब तक ऑगर मशीन की मदद से 4 पाइप डाले जा चुके हैं. हीरा लगे ब्लेड वाली मशीन जब 5वां पाइप डालने के लिए मलबे को काट रही थी, तभी ऊपर से मशीन की तरफ भूस्खलन शुरू होने से बहुत सारा मलबा गिर गया. रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे मजदूरों में भगदड़ मच गई. इसके चलते रेस्क्यू का काम बीच में ही रोक दिया गया. कुछ घंटे बाद दोबारा काम शुरू किया गया है.
अब तक 30 मीटर डाले जा चुके हैं पाइप
मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू टीम सिलक्यारा में रात-दिन काम कर रही हैं. सुरंग के अंदर गिरे मलबे में अब तक 5 पाइप डाले जा चुके हैं. इनमें से हर पाइप 900 मिलीमीटर गोलाई का और 6 मीटर लंबा है. इस लिहाज से करीब 30 मीटर की दूरी तय हो चुकी है. मजदूरों तक मलबे की मोटाई करीब 60 मीटर होने का अनुमान है. अधिकारियों का कहना है कि अभी मजदूरों तक पहुंचने के लिए मलबे में 30 से 40 मीटर तक जगह बनाने की जरूरत है. इस काम को तेजी से पूरा करने के लिए इंदौर से एक और मशीन मंगाई जा रही है. NHIDCL के निदेशक अंशू मनीष खलखो का कहना है कि हमने रेस्क्यू का काम जल्द से जल्द खत्म करने के लिए इंदौर से एक और मशीन मंगाई है, जो शनिवार सुबह तक यहां पहुंच जाएगी.
क्यों आ रही है परेशानी?
उत्तरकाशी की सुरंग के एंट्री प्वॉइंट से करीब 200 मीटर अंदर मजदूर फंसे हुए हैं. मजदूरों के फंसने की जगह के आगे 50 से 60 मीटर मोटाई का मलबा है. टनल का यह हिस्सा बेहद कमजोर माना जा रहा है. इस कारण ही रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी नहीं आ पा रही है. मशीन से जैसे ही ड्रिलिंग तेज की जाती है तो यहां टनल में फिर से मलबा गिरने लगता है.
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