उत्तरकाशी LIVE: आज रात भी बाहर नहीं आएंगे मजदूर, ऑगर मशीन के सामने फिर आया लोहे का अवरोध
उत्तराखंड में जारी है बीते 12 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन. (तस्वीर-PTI)
उत्तरकाशी में फंसे 41 मजदूर बीते 12 दिनों से इस उम्मीद में हैं कि उन्हें बचाव टीम बाहर निकाल ले जाएगी. यह इंतजार लंबा होता जा रहा है. पढ़ें पल-पल के अपडेट.
डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए हर दिन भारी हो रहा है. हर बार ऐसा लग रहा कि थोड़ी देर बाद उन्हें बाहर निकाल लिया जाएगा लेकिन ये इंतजार बढ़ता जा रहा है. बीते 12 दिनों से 24 घंटे बचाव टीमें काम कर रही हैं लेकिन उन्हें बाहर निकालने की राह नहीं मिल पा रही है. रेस्क्यू ऑपरेशन में और देरी इस वजह से हुई क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई है.
पढ़ें अपडेट्स-
- सुरंग में फंसे मजदूरों के बाहर आने की संभावना आज रात भी खत्म होती दिख रही है. ऑगर मशीन आज महज 2.2 मीटर ड्रिलिंग करने के बाद ही सामने फिर से अवरोध आने के कारण रुक गई. मशीन के सामने 25 mm की सरिया और लोहे के पाइप बताए जा रहे हैं, जिसे कटर की मदद से काटने का काम शुरू कर दिया गया है. हालांकि इसके कटने में पूरी रात का समय लगने के आसार हैं. अब तक मलबे में 48.8 मीटर ड्रिलिंग हुई है. ऐसे में 8 से 10 मीटर तक ड्रिलिंग का काम बाकी है. करीब 300 घंटे से भी ज्यादा समय से मलबे में फंसे मजदूरों शुक्रवार रात को भी बाहर आने के आसार खत्म हो गए हैं.
- ऑगर मशीन के बेस प्लेटफॉर्म की मरम्मत पूरी हो गई है. रेस्क्यू टीम ने बताया है कि अब वेल्डिंग कर एक नया पाइप जोड़ा जाएगा. दो घंटे बाद यह पाइप मलबे के अंदर डालना शुरू किया जाएगा.
- रेस्क्यू ऑपरेशन युद्ध स्तर पर एक बार फिर शुरू होने वाला है. महज 9 मीटर की ड्रिलिंग बची है. उम्मीद है कि मजदूर बाहर आ जाएंगे.
- सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए मलबे के बीच से पाइप को डालने का काम कुछ देर में शुरू हो सकता है. जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें आई दरारों को ठीक कर लिया गया है.
बुधवार देर रात ऑगर मशीन के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी हो गई. ऑपरेशन फिर से शुरू होने के कुछ घंटे बाद फिर एक रुकावट आ गई. उत्तराखंड के चार धाम मार्ग में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को अलग-अलग एजेंसियां बचाव अभियान चला रही हैं. यह तीसरी बार है कि ड्रिलिंग कार्य रोका गया है.
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क्यों रुकी है ड्रिलिंग?
एक अधिकारी के मुताबिक जिस प्लेटफॉर्म पर 25 टन की ड्रिलिंग मशीन लगी हुई है, उसे स्थिर करने के लिए गुरुवार को ड्रिलिंग रोक दी गई. संरचना में कुछ दरारें दिखाई दीं, लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई. दोपहर में, दिल्ली में एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोपहर 1.10 बजे मामूली कंपन देखा गया. इसमें कहा गया कि जिस तेजी से मशीन काम कर रही थी, उसका फिर से आकलन किया जा रहा है. बयान में कहा गया कि ऑपरेशन फिर से शुरू होगा.
उम्मीद थी कि गुरुवार को बाहर आ जाएंगे मजदूर
इस अवरोध से पहले, अधिकारी ड्रिलिंग के दौरान कोई और बाधा पैदा नहीं होने पर बृहस्पतिवार रात के दौरान ऑपरेशन समाप्त होने की संभावना देख रहे थे क्योंकि यह 10 से 12 मीटर के अंतिम खंड में प्रवेश कर गया था. दिल्ली में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ घंटों में या कल तक हम इस ऑपरेशन में सफल हो जाएंगे.' हालांकि, उन्होंने आशंका जताई कि इसमें और भी बाधाएं आ सकती हैं.
हर दिन रेस्क्यू मिशन में सामने आ रहीं चुनौतियां
मौके पर मौजूद प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि मलबे में अमेरिकी ऑगर मशीन से की जा रही ड्रिलिंग के दौरान लोहे का सरिया आ गया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि उसे गैस कटर के माध्यम से काट दिया गया है.
कैसे बाहर लाए जाएंगे मजदूर?
सुबह 10 बजे, उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि श्रमिकों को निकालने में NDRF को ड्रिलिंग में 12 से 14 घंटे और उसके बाद लगभग तीन घंटे लगेंगे. बचाव कार्यों में समन्वय के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नोडल अधिकारी बनाए गए सचिव नीरज खैरवाल ने दोपहर दो बजे के करीब संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मलबे में 45 मीटर से आगे बढ़ने के दौरान बुधवार रात आए अवरोध के बाद 1.8 मीटर पाइप और अंदर चला गया है. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 48 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है. अधिकारियों ने बताया कि एक बार पाइप मलबे के दूसरी ओर पहुंच जाए तो एनडीआरएफ के जवान उसमें जाकर श्रमिकों को एक-एक कर बाहर लाएंगे जिसके लिए पूर्वाभ्यास कर लिया गया है. श्रमिकों को पहिए लगे कम ऊंचाई के स्ट्रेचर पर लिटाकर रस्सियों की सहायता से बाहर लाया जाएगा.
सुरंग में कैसे 12 दिनों से जिंदा हैं मजदूर?
श्रमिकों को ऑक्सीजन, भोजन, पानी, दवाइयां तथा अन्य सामान सोमवार को डाली गई पाइपलाइन के जरिए लगातार भेजा जा रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह और एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल बचाव प्रयास की समीक्षा के लिए बृहस्पतिवार को सिलक्यारा में थे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सिलक्यारा पहुंचे.
सुरंग में स्थापित ऑडियो कम्युनिकेशन सेटअप के माध्यम से धामी ने श्रमिकों से बातचीत करते हुए उन्हें बताया कि राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है और बचावकर्मी उनके बहुत नजदीक पहुंच चुके हैं. धामी ने कहा, 'हम करीब 45 मीटर से आगे आ चुके हैं. पूरा देश आपके साथ खड़ा है. आप सभी लोग हौसला बनाएं रखें.'
हर दिन बदल रही है रेस्क्यू की रणनीति
मुख्यमंत्री ने दो श्रमिकों-गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से श्रमिकों के बारे में पूछा और सबका मनोबल बनाए रखने के लिए उन दोनों की सराहना की. धामी ने बचाव अभियान में दिन-रात जुटे श्रमिकों से भी बात कर उनकी पीठ थपथपाई. सिलक्यारा छोर से ड्रिलिंग और 800 मिमी चौड़े पाइप को डालने के काम को पहली बार शुक्रवार दोपहर को रोक दिया गया था जब ऑगर मशीन को 22 मीटर के दूरी के आसपास एक बाधा का सामना करना पड़ा, जिससे सुरंग में कंपन पैदा हुआ जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हुईं.
ड्रिलिंग मशीन हो रही है खराब
ड्रिलिंग मंगलवार आधी रात के आसपास फिर से शुरू हुई लेकिन अगली रात दूसरा झटका लगा. आपदा स्थल पर मौजूद, अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने बताया मलबे के रास्ते ड्रिलिंग करने वाली ऑगर मशीन में फिर से कुछ समस्याएं आ रही हैं. उन्होंने मौजूदा समस्या के बारे में विस्तार से नहीं बताया और उन्होंने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि मशीन में समस्या से बचाव अभियान में कितनी देरी होगी. उन्होंने कहा, 'सुरंग में फंसे हुए मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं, ऐसे में जल्दबाजी नहीं करना बहुत आवश्यक है. अगर हम इस तरह की स्थिति में जल्दबाजी करते हैं तो ऐसी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.'
जब बाहर आएंगे मजदूर तो क्या होगा
जब श्रमिक बाहर आएंगे, तो उन्हें ग्रीन कॉरिडोर के जरिए पुलिस एस्कॉर्ट के तहत एम्बुलेंस में उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्थापित 41-बेड वाले विशेष वार्ड में ले जाया जाएगा. अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया जाएगा. NDRF के महानिदेशक ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिक ठीक हैं. उन्होंने कहा, 'सुरंग में काम करने वाले लोग मानसिक रूप से दृढ़ होते हैं और इन लोगों को यह भी पता है कि उन्हें बाहर निकालने के लिए जबरदस्त प्रयास किए जा रहे हैं तो वे आशान्वित हैं.' (इनपुट: भाषा)
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