Uttarakhand UCC Updates: उत्तराखंड सभी धर्मों व वर्गों के लिए एकसमान कानून व नियम लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनने से कुछ ही कदम दूर है. उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (Uttarakhand UCC) के ड्राफ्ट बिल को कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानसभा में पेश कर दिया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में बिल पेश करते हुए इसे ऐतिहासिक घड़ी बताया है. विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताकर विरोध किया गया है. विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी भी की है. सभी विधायकों को बिल की एक कॉपी देने के बाद विधानसभा की कार्रवाई दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. दोपहर 2 बजे के बाद इस बिल पर चर्चा शुरू की जाएगी. विधानसभा की मंजूरी मिलने के साथ ही यह कानून बन जाएगा. इसके बाद राज्य में बेहद सख्त प्रावधान लागू हो जाएंगे, जिनका पालन नहीं करने पर जेल की सजा से लेकर मोटे आर्थिक जुर्माने तक का सामना करना होगा.
कैबिनेट ने दी थी रविवार को मंजूरी
उत्तराखंड में लंबे अरसे से यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) की चर्चा चल रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए एक विशेष समिति गठित की थी. हाई कोर्ट की रिटायर जज रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय समिति ने 740 पेज का 4 खंडों वाला ड्राफ्ट सरकार को सौंप दिया है, जिसे रविवार को उत्तराखंड कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इसके बाद मंगलवार सुबह इसे उत्तराखंड विधानसभा में मंजूरी के लिए पेश किया गया है. अब इस पर 8 फरवरी तक चलने वाले विधानसभा सत्र में चर्चा होगी. इसके पास होते ही उत्तराखंड सभी नागरिकों के समान कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा.
यूसीसी लागू होने पर इनसे जुड़े नियम-कानून बदलेंगे
उत्तराखंड में UCC लागू होने के बाद सभी नागरिकों के लिए एक जैसे कानून लागू हो जाएंगे. हालांकि अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग को इससे अलग रखा गया है यानी उन पर इसके प्रावधान लागू नहीं होंगे. बाकी सभी नागरिक किसी भी धर्म को मानने वाले हों, उनके लिए विवाह, तलाक, संपत्ति से जुड़े अधिकार, विरासत, गोद लेने व गुजारा भत्ता आदि से जुड़े कानून एक जैसे ही लागू होंगे.
यह हैं Uttarakhand UCC में खास प्रावधान
- कोई भी पुरुष एक से ज्यादा विवाह नहीं कर पाएगा.
- महिलाओं के दूसरे विवाह पर रोक नहीं होगी.
- हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं पर रोक लगेगी.
- विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य हो जाएगा.
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए भी कराना होगा पंजीकरण.
- रजिस्टर्ड लिव इन रिलेशनशिप से पैदा बच्चे जायज माने जाएंगे.
- महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 साल की गई है.
- पति-पत्नी को तलाक लेने का एकसमान हक होगा.
- जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े नियम भी लागू किए जाएंगे.
- बेटे व बेटी को पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलेगा.
- दूसरे धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकार बरकरार रहेंगे.
- लव जिहाद को लेकर भी इसमें प्रावधान किए गए हैं.
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