Vaishno Devi में होगी RFID की शुरुआत, जानिए होगा क्या फायदा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 22, 2022, 05:55 PM IST

वैष्णो देवी मंदिर 

Vaishno Devi: RFID वायरलेस तकनीक पर आधारित होता है, जिसका उपयोग रेडियो तरंगों के माध्यम से ट्रैकिंग के लिए किया जाता है.

डीएनए हिंदी: जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर (Vaishno Devi) की यात्रा की योजना बना रहे श्रद्धालुओं के लिए जल्द ही रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिटी कार्ड (आरएफआईडी) पेश किया जाएगा, ताकि उनकी आवाजाही पर नजर रखी जा सके और आपात स्थिति में सभी आवश्यक कदम सुनिश्चित किए जा सकें. अधिकारियों ने बताया कि करीब 2,000 यात्रियों की क्षमता वाले दुर्गा भवन के निर्माण में भी तेजी लाई जा रही है, ताकि मंदिर परिसर में भीड़ इकट्ठा होने से रोका जा सके.

अधिकारियों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर प्रशासन श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के माध्यम से मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए RFID शुरू करने की योजना बना रहा है. उन्होंने बताया कि इससे श्रद्धालुओं के आगमन पर नजर रखने में मदद मिलेगी और यात्रा मार्ग में भीड़ बढ़ने की स्थिति में प्रभावी उपाय भी सुनिश्चित किए जा सकेंगे.

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आपको बता दें कि इस साल के पहले दिन मंदिर मार्ग पर भगदड़ मचने के मद्देनजर ये उपाय किए गए हैं, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई थी और 16 अन्य घायल हुए थे. मंदिर मार्ग पर इस तरह का यह पहला हादसा था, जिसके बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शत-प्रतिशत ऑनलाइन पंजीकरण समेत कई कदमों की घोषणा की थी.

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मनोज सिन्हा ने महत्वपूर्ण जांच, बुनियादी ढांचे में वृद्धि, पूरे मार्ग पर भीड़भाड़ कम करने, भीड़ व कतार प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी के उपयुक्त उपयोग और RFID ट्रैकिंग समेत कई सुधार लागू करने के निर्देश जारी किए थे. आरएफआईडी वायरलेस तकनीक पर आधारित होता है, जिसका उपयोग रेडियो तरंगों के माध्यम से ट्रैकिंग के लिए किया जाता है. इसके टैग में गुप्त जानकारी, क्रम संख्या और संक्षिप्त विवरण दर्ज किया जा सकता है.

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अधिकारी ने कहा कि भवन (गर्भगृह) में भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित दुर्गा भवन के निर्माण का काम तेज किया जा रहा है, ताकि खराब मौसम के कारण मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को समायोजित किया जा सके. वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन के लिए 2021 में 55.77 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे, जबकि उससे पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के कारण 17 लाख श्रद्धालु ही वहां गए थे. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने महामारी के मद्देनजर श्रद्धालुओं की दैनिक संख्या 50,000 तक सीमित कर दी है.

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