कौन थे वीर कुंवर सिंह जिनके विजयोत्सव से ध्वस्त हो जाएगा Pakistan का वर्ल्ड रिकॉर्ड?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 23, 2022, 01:28 PM IST

भारत के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज है वीर कुंवर सिंह का नाम.

वीर कुंवर सिंह भारत के अमर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. उन्होंने 1857 के विद्रोह में अहम भूमिका निभाई थी.

डीएनए हिंदी: स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुंवर सिंह के विजयोत्सव पर अमित शाह बिहार दौरे पर हैं. वह जगदीशपुर के आरा जिले में अमर स्वतंत्रा सेनानी को श्रद्धांजलि देंगे. बिहार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की मौजूदगी में आयोजित होने वाले समारोह में 75,000 से अधिक लोग एक साथ तिरंगा लहराएंगे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकर्ता पाकिस्तान का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए बेहद उत्साहित हैं. 

गृहमंत्री अमित शाह अमृत महोत्सव के तहत शनिवार को भोजपुर जिले के जगदीशपुर में 1857 के वीर कुंवर सिंह के विद्रोह की स्मृति में आयोजित एक समारोह में शामिल होंगे. केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि हम ध्वजवाहकों की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगा सकते लेकिन यह 75,000 से कम नहीं होगा.

कैसे टूटेगा पाकिस्तान का वर्ल्ड रिकॉर्ड?

पाकिस्तान का रिकॉर्ड लगभग 56,000 झंडों का है, जिसे 2004 में स्थापित किया गया था. इस दिन गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम भी उपस्थित रहेगी. बीजेपी कार्यकर्ता इसी रिकॉर्ड को ध्वस्त करने के लिए बड़ी संख्या में जुट रहे हैं. अब उनके विजयोत्सव पर 75,000 तिरंगे फहराए जाएंगे जिससे पाकिस्तान का वर्ल्ड रिकॉर्ड टूट जाएगा.

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कौन थे राजा वीर कुंवर सिंह?

वीर कुंवर सिंह स्वतंत्रता सेनानी और जगदीशपुर के राजा थे. वह ऐसे हिंदू शासक थे जो जाति आधारित भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे. वह सामाजिक तौर पर पिछड़े लोगों को अपने निजी अंगरक्षकों के रूप में रखते थे. वीर कुंवर सिंह ने भारत की अखंडता के लिए लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था.

वीर कुंवर सिंह वीर शिवा जी की तरह गुरिल्ला युद्ध में विश्वास रखते थे. उन्होंने 1857 के युद्ध में अंग्रेजों को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. कहा जाता है कि उन्होंने 80 साल की उम्र में भी अंग्रेजों से सीधी लड़ाई लड़ी थी. घायल होने पर उन्होंने खुद अपने हाथ को काटकर अलग कर दिया था. 

मातृभूमि की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लिया लोहा

वीर कुंवर सिंह का जन्म 13 नवंबर 1777 को बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में हुआ था. इनके पिता बाबू साहबजादा सिंह प्रसिद्ध शासक भोज के वंशजों में से थे. उनकी मां पंचरत्न कुंवर थीं.  उनके छोटे भाई अमर सिंह, दयालु सिंह और राजपति सिंह और इसी खानदान के बाबू उदवंत सिंह, उमराव सिंह तथा गजराज सिंह नामी जागीरदार रहे. बिहार का यह राजघराना एक अरसे से स्वाधीनता की जंग लड़ रहा था. जब वीर कुवंर सिंह के हाथ सियासत की बागडोर आई तो उन्होंने अपने पूर्वजों की राह पकड़कर जमीन की आन-बान और शान के लिए अंग्रेजों से लोहा ले लिया.

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नाम सुनकर थर्राते थे अंग्रेज

1857 में जब  मेरठ, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, झांसी और दिल्ली में क्रांति की आग भड़क चुकी थी. वीर कुंवर सिंह ने अपने सेनापति मैकू सिंह के साथ भारतीय सैनिकों का नेतृत्व किया. वह युद्ध करते हुए आगे बढ़ रहे थे और रास्ते में अंग्रेज सैनिकों का नरसंहार करते चल रहे थे.. 27 अप्रैल, 1857 को दानापुर के सिपाहियों और अन्य साथियों के साथ उन्होंने आरा की किला को जीत लिया था.

गंगा में काटकर फेंक दिया था हाथ

वीर कुंवर सिंह रीवा, आजमगढ़, बनारस, बलिया, गाजीपुर, गोरखपुर में अंग्रेजों की सेना पर भारी पड़े थे. भोजपुर और यूपी की सीमा पर पहुंचकर एक रोज वह गंगा पार कर रहे थे, इसी दौरान अंग्रेजों की गोली उनकी बांह में लग गई. कुंवर सिंह ने तत्का अपना हाथ काटकर गंगा में फेंक दिया था. तब उनकी उम्र 80 साल के आस-पास थी. उन्होंने जगदीशपुर स्थित अपने किले को अंग्रेजों से छीनकर ही दम लिया था.

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वीर कुंवर सिंह ने जगदीशपुर किले से अंग्रेजों का यूनियन जैक उतारकर फेंक दिया था. साथ ही जगदीशपुर की आजादी का ऐलान भी किया था. जगदीशपुर स्वतंत्र हो गया. इसी दिन की याद में बिहार नें वीर कुंअर सिंह विजयोत्सव मनाया जाता है. 26 अप्रैल को भारत मां के इस वीर सपूत ने धरती को अलविदा कह दिया था. अमित शाह उन्हें ही श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं.

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