Lok Sabha Elections 2024: भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर मुश्किल में फंस गए हैं. राजीव ने केरल की तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा है, लेकिन उनक नामांकन पत्र के साथ मौजूद हलफनामे में दी गई जानकारी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस ने राजीव चंद्रशेखर पर हलफनामे में अपनी संपत्ति छिपाने का आरोप लगाते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) से शिकायत की है. कांग्रेस ने राजीव चंद्रशेखर पर जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए के उल्लंघन का आरोप लगाया है. इसके बाद चुनाव आयोग ने मंगलवार को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) को राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) के हलफनामे में दिए ब्योरे की जांच करने का आदेश दिया है.
क्या है राजीव पर आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राजीव ने हलफनामे में जो संपत्ति घोषित की है, उसमें और उनकी असल संपत्ति के आंकड़े में अंतर है. नियमों के मुताबिक, यदि किसी भी उम्मीदवार के हलफनामे में कोई गलत घोषणा पाई जाती है, तो उस पर RP Act 1951 की धारा 125ए के तहत कार्रवाई की जाती है.
घोषित आय और वास्तविक आय में बताया है अंतर
कांग्रेस का आरोप है कि राजीव चंद्रशेखर ने वित्त वर्ष 2021-22 में अपनी कर योग्य आय 680 रुपये बताई थी, जबकि घोषणापत्र में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए उन्होंने अपनी कर योग्य आय 5,59,200 रुपये दिखाई है. साथ ही उन्होंने अपने पास बंगलुरु के कोरमंगला में एक गैर-कृषि भूमि और एक इंडियन स्काउट मोटरसाइकिल होने की जानकारी भी दी है.
शशि थरूर को चुनौती दे रहे हैं राजीव चंद्रशेखर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदा सरकार में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्री की भूमिका निभा रहे राजीव तिरुवनंतपुरम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर राजीव चंद्रशेखर कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व IFS अफसर शशि थरूर को चुनौती दे रहे हैं. पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर इस सीट से मौजूदा सांसद हैं. इन दोनों के अलावा इस सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने पी. रविंद्रन का उतारा हुआ है.
अब जान लीजिए क्या है धारा 125ए?
चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के हलफनामे जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 125A के तहत आते हैं. इसके तहत झूठे हलफनामे को लेकर जुर्माना और सजा लगाई जाती है. इसके तहत निम्न हालात में कार्रवाई की जाती है.
- यदि कोई उम्मीदवार या उसका प्रस्तावक धारा 33A की उपधारा (1) से जुड़ी कोई भी जानकारी साबित करने में विफल रहता है.
- यदि दी गई जानकारी झूठी है और यह साबित होता है कि उसके झूठा होने की जानकारी उम्मीदवार को थी.
- यदि धारा 33 की उप-धारा (1) के तहत दिए नामांकन पत्र में या धारा 33 ए की उप-धारा (2) के तहत दिए हलफनामे में, कोई जानकारी छुपाता है.
सजा: यदि ऊपर दी गई बातें सही साबित होती हैं तो चुनाव आयोग नामांकन रद्द करने का साथ ही छह महीने की कैद व जुर्माना लगा सकता है.
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