Donald Trump के राष्ट्रपति बनने पर भारत की Economy पर क्या होगा असर, क्या कहती है मूडीज की रिपोर्ट, समझें

Written By मीना प्रजापति | Updated: Nov 10, 2024, 04:47 PM IST

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, इसको लेकर मूडीज की एक रिपोर्ट सामने आई है. यह रिपोर्ट भारत के लिए अच्छे संकेत देती है.

Moody's Report: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद, व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) की दूसरी पारी का भारत और अन्य एशियाई देशों पर क्या असर पड़ेगा, यह चर्चा का विषय है. मूडीज की रेटिंग के अनुसार, सत्ता के इस बदलाव से भारत को फायदा पहुंचेगा. रेटिंग्स से पता चलता है कि यह बदलाव अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संभावित निवेश प्रतिबंधों के कारण होगा.

चीन की बढ़ेंगी मुश्किलें
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody's) से पता चलता है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार और निवेश प्रवाह चीन से और दूर हो सकता है, क्योंकि अमेरिका रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश को सख्त कर रहा है. इसका चीन की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और परिणामस्वरूप क्षेत्रीय विकास में कमी आएगी. हालांकि, अमेरिकी नीति में इस बदलाव से भारत और आसियान देशों को लाभ हो सकता है. मूडीज के मुताबिक, ट्रम्प प्रशासन के तहत अमेरिकी नीति में महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना है. विशेष रूप से राजकोषीय, व्यापार, जलवायु और इमिग्रेशन मुद्दों के संबंध में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं. ये मुद्दे बाइजेन प्रशासन के नजरिए से दूर रहे थे. 

अपने कैंपेन के दौरान, ट्रम्प ने 2017 के कर कटौती और रोजगार अधिनियम को स्थायी बनाकर, कॉर्पोरेट कर दरों में कटौती करके और आयकर में राहत प्रदान करके टैक्स सुधार को आगे बढ़ाने के अपने इरादे का संकेत दिया था. इन पहलों के साथ-साथ व्यापक टैरिफ - जिसमें चीनी आयातों पर भारी शुल्क भी शामिल है. इससे संघीय घाटा बढ़ने की संभावना है.

नियमों में ढील की संभावना
मूडीज ने यह भी भविष्यवाणी की है कि ट्रम्प प्रशासन के तहत संरक्षणवादी व्यापार नीति (Protectionist Trade Policy) की संभावना है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकती है और आयातित सामग्रियों और वस्तुओं पर निर्भर क्षेत्रों, जैसे विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और रिटेल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. ट्रंप के दूसरे प्रशासन में बड़े राजकोषीय घाटे, संरक्षणवादी व्यापारिक कदमों, जलवायु उपायों में गतिरोध, इमिग्रेशन पर सख्त रुख और नियमों में ढील दिए जाने की उम्मीद है. इनका मकसद अनधिकृत आव्रजन को कम करना और योग्यता के आधार पर वैध आव्रजन को प्राथमिकता देना है. 


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