कौन हैं अरुण योगीराज जिन्होंने बनाई रामलला की अचल मूर्ति?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Jan 19, 2024, 05:52 PM IST

अरुण योगीराज.

सदियों की प्रतीक्षा समाप्त हुई. अयोध्या के राममंदिर के गर्भगृह में रामलला विराजमान हो गए हैं. उनकी सहज-सुंदर सांवरो तस्वीर, दुनिया के सामने है.

डीएनए हिंदी: अयोध्या के जन्मभूमि मंदिर में भगवान रामलला अपने बाल स्वरूप में विराजमान हो गए हैं. गर्भगृह में स्थापित मूर्ति में राम लला अपने सुंदर श्यामल स्वरूप में नजर आ रहे हैं. मूर्तिकार अरुण योगीराज ने ऐसी छवि उकेरी है, जो जीवंत लग रही है. भगवान के हाथों में धनुष बाण हैं. मूर्ति के बाहरी आवरण पर कई अवतारों की मूर्तियां बनी हैं, जिनमें परशुराम से लेकर बुद्ध तक की छवियां अंकित हैं. इसे रचने वाले शिल्पकार अरुण योगीराज की हर कोई तारीफ कर रहा है. शुक्रवार को रामलला की आंखों पर बंधी पट्टी हटाई गई है.

शायद ही ऐसा कोई देवी-देवता होगा, जिसकी मूर्ति अरुण योगीराज ने गढ़ी न हो. उनकी कलाकृतियां, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक नजर आती हैं. दिल्ली से लेकर केदारनाथ तक, उनकी गढ़ी मूर्तियों को दुनिया देखती है, सराहना करती है. उनका नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है. आइए जानते हैं कौन हैं अरुण योगीराज, जिनकी मूर्तियों की दुनिया दीवानी है.

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कौन हैं अरुण योगीराज? जानिए इनके बारे में 

अरुण योगीराज, देश के सबसे चहेते मूर्तिकारों में से एक हैं. उन्होंने बेहद कम उम्र में मूर्तिकला की दुनिया पांव रखा और कम उम्र में ही दुनिया में छा गए. उन्हें मूर्तिकला विरासत में मिली है. वह अपने पिता योगीराज और दादा बसवन्ना शिल्पी से बहुत प्रभावित रहे हैं. इन्हें मैसूर के राजाओं का संरक्षण प्राप्त था.

- अरुण योगीराज ने बिजनेस मैनेजमेंट में मास्टर्स की पढ़ाई की है. उन्होंने कुछ साल कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम किया लेकिन मन नहीं रहा. उनकी नैसर्गिक प्रतिभा ने उनका मन मोह लिया. साल 2008 में उन्होंने कला के क्षेत्र में वापसी कर ली. उन्होंने एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक मूर्तियां इस अवधि के दौरान रचीं.

- अरुण योगीराज की कलात्मकता हर दिन निखर रही है. उनकी बनाई मूर्तियों को दुनियाभर में पहचान मिल रही है. राम लला, शंकराचार्य से लेकर नेता जी सुभाष चंद्र बोस तक की तस्वीर वे बना चुके हैं.


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- अरुण योगीराज ने दिल्ली के इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति की जगह स्थापित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति बनाई है. उन्होंने केदारनाथ में भगवान आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची मूर्ति बनाई है. मैसूर में उन्होंने 21 फीट ऊंची भगवान हनुमान की भी प्रतिमा बनाई है. उनकी मूर्तियों की चर्चा देशभर में होती है.

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