भुखमरी देखी तो पसीजा दिल, अन्न उत्पादन में बनाया देश को आत्मनिर्भर, यूं ही नहीं भारत रत्न बने एमएस स्वामीनाथन

अभिषेक शुक्ल | Updated:Feb 09, 2024, 01:40 PM IST

MS Swaminathan.

एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति जनक कहा जाता है. उन्होंने बंगाल की भुखमरी से सीख ली और कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया.

एमएस स्वामीनाथन को नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है. उनके प्रयासों से की वजह से भारत में अन्न उत्पादन आत्मनिर्भरता आई थी और भारत दुनिया को गेहूं-धान बेचने लगा था.

एमएस स्वामीनाथन विश्व के जाने-माने एग्रोनॉमिस्ट और कृषि वैज्ञानिक थे. उनके अनुसंधानों की वजह से ही देश आज खाद्य उत्पादन में रोज नए कीर्तिमान रच रहा है.

कौन थे एमएस स्वामीनाथन?

एमएस स्वामीनाथन का पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन है. 28 सितंबर 2023 को उनका निधन हो गया था. हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन को एक अरसे से भारत रत्न देने की मांग हो रही थी.

कृषि के क्षेत्र में 1960 और 70 के दशक में आए गए बदलावों का श्रेय उन्हें जाता है. भारत उनकी वजह से खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम दर्ज किया था और भुखमरी की समस्या से निजात पाई थी. 

कैसे कृषि वैज्ञानिक बने स्वामीनाथन?

एमएस स्वामीनाथन के कृषि वैज्ञानिक बनने की वजह बेहद दर्दनाक थी. साल 1942 से 43 के बीच बंगाल में अकाल पड़ा और लाखों लोगों ने भूख की वजह से जान गंवा दी. एमएस स्वामीनाथन ने अपनी किताब में लिखा है कि इस घटना ने उन्हें बहुत प्रभावित किया था.

बंगाल के अकाल की वजह से उन्होंने कोयंबटूर के कृषि कॉलेज से ग्रेजुएशन की. उन्होंने कृषि अनुसंधान में जाने का भी फैसला किया. एमएस स्वामीनाथन ने आनुवंशिकी और उत्पादन में रिसर्च किया.

उन्होंने फसलों के अत्याधिक उत्पादन को लेकर काम किया. उन्होंने आनुवंशिकी के विज्ञान में भी रिसर्च किया. हरित क्रांति उनकी वैज्ञानिक उपलब्धि के साथ-साथ सही रणनीति का नतीजा थी.

एमएस स्वामीनाथन का शोध चर्चित हुआ. उन्हें यूरोप और अमेरिका के शैक्षणिक संस्थानों में जाने का अवसर मिला. साल 1954 में, उन्होंने केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में उर्वरक प्रतिक्रिया के लिए जीन ट्रांसफर पर काम किया. उन्होंने जैपोनिका से लेकर इंडिका किस्मों तक काम किया. उन्हें आशातीत सफलता मिली और देश में हरित क्रांति आई.

कौन थे एमएस स्वामीनाथन, एक नजर में जानिए पूरी कहानी
एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था. डॉ. स्वामीनाथन ने कृषि अनुसंधान में दिनरात काम किया. मद्रास कृषि कॉलेज से कृषि विज्ञान की डिग्री हासिल की. उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई की. उनका पसंदीदा विषय आनुवंशिकी और फसल उत्पाद रहा.

उन्होंने गेहूं और चावल की ऐसी किस्में विकसित कीं जो बेहद उपजाऊ थीं और रोग प्रतिरोधक भी थीं. ये बीज भारतीय जमीन के लिए बेहद उपयुक् रहे. स्वामीनाथन के प्रयासों का नतीजा यह निकला कि किसानों के आर्थिक विकास की गति बदल गई. स्वामीनाथन को पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मान पहले ही मिल चुके हैं. अब उन्हें केंद्र सरकार ने भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया है.

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