कौन हैं Sudha Bharadwaj, एल्गार परिषद केस में जिन्हें कोर्ट से मिली राहत?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 09, 2021, 05:26 PM IST

एक्टिविस्ट और लॉयर सुधा भरद्वाज. (फाइल फोटो)

सुधा भरद्वाज देश के अलग-अलग हिस्सों में आदिवासियों और मजदूर आवाजों के लिए काम करती रही हैं.

डीएनए हिंदी: एल्गार परिषद केस (Elgaar Parishad Case) में आरोपी सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को रिहा कर दिया गया है. एल्गार परिषद में कथित तौर पर माओवादियों के साथ संबंध रखने के मामले में सुधा भारद्वाज की रिहाई हुई है. तीन साल कैद में बिताने के बाद बृहस्पतिवार को जमानत के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया. 

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक सुधा भरद्वाज को 1 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिली थी. नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की स्पेशल कोर्ट को उन पर लगाई जाने वाली पाबंदियों को तय करने का निर्देश दिया गया था. एनआईए कोर्ट ने सुधा भारद्वाज को 50 हजार रुपये के मुचलके पर रिहा करने का बुधवार को निर्देश दिया. 

कानूनी औपचारिकताएं (Legal Formalities) पूरी होने के बाद बृहस्पतिवार दोपहर को उन्हें भायखला महिला कारागार (Bhayakhala) से रिहा कर दिया गया. सुधा भरद्वाज को अगस्त 2018 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था. 

कौन हैं सुधा भरद्वाज?

सुधा भरद्वाज पेशे से वकील हैं और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करती हैं. 28 अगस्त 2018 को पहली बार सुधा भरद्वाज की गिरफ्तारी हुई थी. फिर उन्हें हाउस अरेस्ट किया गया था. 27 अक्टूबर को उन्हें कस्टडी में लिया गया था. 31 दिसंबर 2017 को एग्लार परिषद कॉन्क्लेव में विवादित भाषण देने की वजह से उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. 

पुलिस के मुताबिक उनके भाषणों से भीमा-कोरोगांव में हिंसा भड़क गई थी. पुलिस ने यह भी दावा किया था कि इस कॉन्क्लेव को आयोजित कराने में माओवादियों का हाथ था. सुधा भरद्वाज देश के अलग-अलग हिस्सों में आदिवासियों और मजदूर आवाजों के लिए काम करती रही हैं. अब उन पर माओवादियों के साथ जुड़े होने का आरोप लगा है.

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