डीएनए हिंदी: विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ के अगले मुख्यमंत्री होंगे. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक दल, पर्यवेक्षकों की टीम और केंद्रीय नेतृत्व ने एकसुर में उनके नाम पर मुहर लगा दी है. विष्णु देव साय आदिवासी समुदाय से आते हैं. वे राज्य के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री भी हैं. उनके नाम का प्रस्ताव रमन सिंह ने दिया था, जिसके बाद विधायकों ने उनके नाम पर मुहर लगा दी. वे 4 बार के सांसद रहे हैं.
राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने उन्हें नेता चुनकर बड़ा दांव खेला है. वजह है कि 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. विष्णु देव साय राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी रहे हैं. उनके पास अपार जनसमर्थन रहा है. वे छत्तीसगढ़ के जमीनी नेताओं में गिने जाते हैं. पार्टी के भीतर उनके नाम पर किसी ने ऐतराज भी नहीं जताया. माना जा रहा है कि बीजपी ने इस बहाने से अपने आदिवासी वोट बैंक को मजबूत किया है.
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क्यों विष्णुदेव साय ही चुने गए सीएम?
1. विष्णु देव साय के नाम पर विधायक दल और पर्यवेक्षकों ने एक साथ समर्थन किया. किसी ने उनके नाम पर ऐतराज नहीं जताया. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ही उन्हें सांसदी छोड़कर राज्य के विधानसभा चुनाव में उतारा था. केंद्रीय नेृत्व उनकी भूमिका को लेकर पहले ही आश्वस्त था.
2. विष्णु देव साय आदिवासी समाज से आते हैं. राज्य में करीब 32 फीसदी आबादी आदिवासी समाज से हैं. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं. छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल राज है, ऐसे में जनभावना का ख्याल रखते हुए उनके नाम पर मुहर लगी है.
3. विष्णु देव साय प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वे 4 बार के सांसद रहे हैं. केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. उनके पास नेतृत्व का अच्छा अनुभव है. केंद्र और राज्य के बीच बेहतर समन्यवयन के बारे में भी वे जानते हैं. ऐसी स्थिति में उनके लंबे राजनीतिक सफर को देखते हुए नई जिम्मेदीर दी गई है.
4. विष्णु देव साय अनुभवी नेता हैं. किसी नेता के साथ उनकी राजनीतिक दुश्मनी भी नहीं है. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की भी विष्णु देव पहली पसंद थे. यही वजह है कि बड़ी संख्या में विधायकों ने उनके नाम पर सहमति जता दी.
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5. छत्तीसगढ़ में बीजेपी एक नया और निर्विवाद चेहरा चुनना चाहता था. बीजेपी की मुख्यमंत्री बदलने की नीति रही है. रमन सिंह पुराने हो चुके थे, लोकसभा के मद्देनजर बीजेपी नए चेहरे के साथ जमीन पर जाना चाहती थी. अब भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी चेहरे पर भरोसा जताकर आदिवासी वोट को साधने की कोशिश की है.
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