डीएनए हिंदी: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) आज दो दिन की भारत यात्रा पर हैं. बोरिस का दौरा पिछले कुछ महीनों में वैश्विक महामारी कोविड-19 (Covid-19) के कारण दो बार टल चुका है. ऐसे में अब इस दौरे को भारत और ब्रिटेन दोनों के ही कूटनीतिक रिश्तों (India Britain Diplomatic Relationship) के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. वहीं खास बात यह है कि बोरिस जॉनसन सबसे पहले गुजरात की यात्रा पर गए हैं और अहमदाबाद में वो निवेश के कुछ बड़े ऐलान कर सकते हैं. पीएम मोदी (PM Narendra Modi) से उनकी मुलाकात कल होगी.
आपको बता दें कि ब्रिटेन को भारत में निवेश की बड़ी संभावनाएं दिख रही हैं, इसलिए वो भारत का एक व्यापारिक साझेदार बनना चाहता है. अपने गुजरात दौरे में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विज्ञान, हेल्थ एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में निवेश की घोषणा कर सकते हैं. डिफेंस में साझेदारी के अलावा जॉनसन मुक्त व्यापार समझौते पर भी चर्चा करेंगे. ब्रिटेन 2035 तक भारत से 36.5 अरब डॉलर से बढ़ाना चाहता है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस सदी की शुरुआत में ब्रिटेन भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार था लेकिन फिलहाल वह 17वें नंबर पर है. भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात है. ऐसे में अब ब्रिटेन एक बार फिर भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को सुधारने की प्लानिंग कर रहा है.
वहीं बोरिस जॉनसन के भारत आने पर सबसे पहले गुजरात जाने की चर्चाएं सबसे ज्यादा हो रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या बात है कि सबसे पहले बोरिस गुजरात जा रहे हैं? आपको बता दें कि गुजरात के डेयरी व्यापारी लंबे वक्त से भारत में ब्रिटिश और यूरोपीय कंपनियों को ज्यादा सहूलियतें मिलने से नाराज हैं. इसके चलते बड़े स्तर पर ब्रिटिश कंपनियों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं इस विरोध की एक बड़ी वजह यह भी है कि यूके और यूरोपीय संघ (EU) में भारतीय डेयरी उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध है. इन देशों के नियामकों का कहना है कि भारत से निर्यात किए जाने वाले डेयरी उत्पाद, यूरोप के खाद्य सुरक्षा मानकों पर पूरे नहीं उतरते. वहीं ईयू और ब्रिटेन अपने यहां की कंपनियों और व्यापारियों को सब्सिडी देते हैं.
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इसके अलावा, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के उत्पादक सिर्फ गाय का दूध बेचते हैं जबकि भारत के निर्यातक केवल भैंस का दूध बेचते हैं, जिसे अमेरिका और कनाडा भी निर्यात किया जाता है. ऐसे में जहां एक तरफ डेयरी उद्योग को लेकर दिल्ली से ब्रिटेन की बातचीत जारी है तो वहीं गुजरात के व्यापारियों को बोरिस गुजरात में निवेश से साधने की कोशिश कर सकते हैं. वहीं ब्रिटेन में भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों में गुजराती लोगों की एक बड़ी तादाद है जिसके चलते बोरिस राजनीतिक तौर पर भी ब्रिटेन में रह रहे गुजरातियों को एक राजनीतिक संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं. संभवतः यही कारण है कि बोरिस जॉनसन भारत आने पर सबसे पहले गुजरात जा रहे हैं.
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