डीएनए हिंदीः सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi case) में सिविल जज (Civil Judge) के बजाय अब जिला जज को इस केस की सुनवाई करने का आदेश दिया है. अभी तक इस मामले में जितने भी आदेश दिए गए थे वो सिविल जज ने ही दिए थे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि मामला काफी जटिल और संवेदनशील है. ऐसे में इस मामले को अनुभवी जज द्वारा सुना जाना चाहिए.
कोर्ट के आदेश की महत्वपूर्ण बातें?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में कई बातें स्पष्ट कर दी हैं. कुछ बातों को लेकर दोनों ही पक्षों में असमंजस बरकरार थी लेकिन अब यह पूरी तरह साफ हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिला जज पूरे मामले की सुनवाई प्रायोरिटी पर करेंगे. आदेश में यह भी कहा गया कि सबसे पहले हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल कागजों को देखा जाएगा. फैसले में यह भी कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करने वाले मुसलमानों के लिए 'वजू' की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने दिया आठ हफ्ते का समय
ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये मामला अब सिविल जज से जिला जज को ट्रांसफर किया जाए. याचिका में हिंदू पक्ष के वाद को उपासना स्थल कानून 1991 के आलोक में सुनवाई के अयोग्य बताया गया है. इस अर्जी के निपटारे के 8 हफ्ते बाद तक सुप्रीम कोर्ट का 17 मई का आदेश प्रभावी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के मुताबिक, शिवलिंग वाली जगह सुरक्षित रखी जाएगी. नमाज में कोई दिक्कत नहीं होगी. आठ हफ्ते का वक्त इसलिए दिया गया है ताकि जिला जज के आदेश से असंतुष्ट कोई भी पक्ष कानूनी राहत के विकल्प का इस्तेमाल कर सके.
क्या सिविल जज पर नहीं था भरोसा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को इससे जोड़कर देना जाना बिल्कुल गलत होगा. यहां मामला नीयत से ज्यादा अनुभव का है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने केस को ट्रांसफर करते हुए यह साफ भी किया.
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अब ज्ञानवापी केस में आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद करेगा. उधर इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी सुनवाई 6 जुलाई तक टल गई है. ऐसे में सभी की नजरें वाराणसी की जिला कोर्ट पर टिकी हैं. सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मुस्लिम और हिंदू पक्ष को फिलहाल जिला अदालत में अपना अपना दावा पेश करना होगा. सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई में ये बात साफ हो गई कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही इस मामले की सुनवाई होगी.
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