Golden Temple Harmonium: स्वर्ण मंदिर से हारमोनियम हटाने की मांग क्यों हो रही है?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 23, 2022, 12:27 PM IST

स्वर्ण मंदिर में लगातार होता रहता है भजन-कीर्तन

Golden Temple Harmonium: लंबे समय से स्वर्ण मंदिर में बजाए जाने वाले हारमोनियम को हटाने के लिए अब कुछ गायकों ने मांग उठाई है.

डीएनए हिंदी: पंजाब के अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) में से हारमोनियम को हटाने की मांग की जा रही है. अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) से मांग की है कि आने वाले तीन साल में हारमोनियम को हटा दिया जाए. ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि स्वर्ण मंदिर में कीर्तन या गुरबानी का गायन पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ किया जा सके.

भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ समानता रखने वाले कई विद्यानों ने भी इस मांग का समर्थन किया है. इनका कहना है कि हारमोनियम का इस्तेमाल अंग्रेजों ने शुरू किया था. तार वाद्ययंत्रों के उस्ताद भाई बलवंत सिंह नामधारी ने कहा, 'हारमोनियम अंग्रेजों के समय आया लेकिन फिर इसने पैठ बना ली. हम अकाल तख्त के जत्थेदार से मिले थे और स्ट्रिंग वाद्ययंत्रों को पुनर्जीवित करने की मांग की थी. अच्छी बात है कि वह इस दिशा में कदम उठा रहे हैं.'

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भजन-कीर्तन के लिए तैनात किए जाता है गायकों का समूह
आपको बता दें कि हरमंदिर साहिब यानी स्वर्ण मंदिर में 20 घंटे के भजन-कीर्तन के लिए 15 भजन गायकों का समूह तैनात किया जाता है. ये गायक दिन और मौसम के हिसाब से 31 रागों में से कोई एक चुनते हैं और उसी के हिसाब से भजन गाते हैं. अब SGPC के अधिकारियों का कहना है कि इनमें से सिर्फ़ पांच ग्रुप ऐसे हैं जिनके पास रबाब और सारंडा जैसे वाले वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल करते हुए और बिना हारमोनियम का इस्तेमाल किए ही गायन करने का अनुभव और कौशल है.

SGPC की ओर से संचालित होने वाले कॉलेजों में हाल ही में स्ट्रिंग इंस्ट्रूमेंट्स की ट्रेनिंग शुरू की गई है. गुरु नानकदेव के शिष्य और प्रसिद्ध गुरमत संगीत वादक भाई बलदीप सिंह भी हारमोनियम को हटाना चाहते हैं.  

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अंग्रेजों ने खराब किया सिस्टम
बलदीप सिंह कहते हैं, 'गुरु नानकदेव जी पहले कीर्तन गायक थे. अंग्रजों ने सिख मामलों में हस्तक्षेप करते हुए हारमोनियम को शामिल करवा दिया. उन्हें हमारी विरासत के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. अंग्रेजों से पहेल हर गुरुद्वारे की अपनी संपत्ति थी और इससे होने वाली कमाई का एक हिस्सा रबाबी और सिख कीर्तनियों को दिया जाता था. अंग्रेजों के आने के बाद यह व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई.'

बलवंत सिंह और बलदीप सिंह का मानना है कि हारमोनियम की वजह से गायन की गुणवत्ता प्रभावित होती है. बलदीप सिंह कहते हैं, 'अगर किसी को हारमोनियम का बाहर किया जाना बुरा लगता है तो यहां सहानुभूति के लिए कोई जगह नहीं है. अकाल तख्त के जत्थेदार को चाहिए कि अगर वह आदेश को लागू करना चाहते हैं तो उन्हें तार वाले वाद्ययंत्रों के सभी विद्वानों को बुलाना चाहिए.'

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