डीएनए हिंदी: तमिलनाडु में एक महिला नसबंदी के बावजूद प्रेगनेंट हो गई और विवाद इतना बढ़ गया कि यह मामला मद्रास हाईकोर्ट पहुंच गया. अब कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया कि महिला को तीन लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि बच्चे के एजुकेशन का पूरा खर्च भी राज्य सरकार ही उठाए. मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने महिला की दलीलों को सही ठहराते हुए उसके हक में फैसला सुनाया है.
दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने नसबंदी के बावजूद एक महिला के प्रेग्नेंट होने को लेकर अपना फैसला सुनाया है. महिला के पहले से दो बच्चे है. ऐसे में कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि महिला को तीन लाख रुपये का मुआवजा देने के साथ ही सरकार महिला के तीसरे बच्चे की शिक्षा खर्च भी उठाए.
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सारा खर्च उठाए सरकार
मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार को यह भी आदेश दिया है कि वह पहले से भुगतान किए गए सारे पैसे महिला को दे. इतना ही नहीं, कोर्ट ने कहा है कि इस महिला के तीसरे बच्चे के भविष्य में किताबों, स्टेशनरी, ड्रेस और अन्य शैक्षिक जरूरतों को भी सरकार ही पूरा करेगी.
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21 साल तक देना होगा पैसा
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने जस्टिस बी पुगलेंधी की पीठ ने महिला के बच्चे की सभी जरूरतों के लिए महिला को सालाना 1.20 लाख रुपये या 10,000 रुपये प्रति महीने देने के आदेश दिए है. कोर्ट ने कहा है कि यह रकम तब तक दी जानी चाहिए जब तक बच्चा 21 साल का या ग्रेजुएट नहीं हो जाता है.
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