Suicide Case: दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्या की कोशिश करती हैं महिलाएं, चौंकाने वाले हैं पुरुषों के आंकड़े

Written By आरती राय | Updated: Oct 14, 2022, 09:36 PM IST

सांकेतिक तस्वीर

WHO की डेटा के मुताबिक, दुनियाभर में  793,000 लोगों ने आत्महत्या की है. इसमें से ज़्यादातर पुरुष थे. महिलाओं के लिए यह आंकड़ा 1.5% के करीब है.

डीएनए हिंदी: दुनिया भर में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे है. सुसाइड को लेकर Human Development Report के ताजा आंकड़े चौंकाने वाले हैं. आंकड़ों के मुताबिक, हर साल 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा महिलाएं सुसाइड करने का प्रयास करती हैं. लेकिन सुसाइड से पुरुष सबसे ज्यादा मरते हैं.
 
पुरुषों के आत्महत्या के आंकड़े ग्लोबल इंडेक्स में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. WHO की डेटा के मुताबिक, दुनियाभर में  793,000 लोगों ने आत्महत्या की है. इसमें से ज़्यादातर पुरुष थे. वहीं, UK में 45 वर्ष से कम आयु के पुरुषों में आत्महत्या भी मौत के प्रमुख कारणों में से एक है. 
 
यही हाल कई अन्य देशों का भी है. ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की आत्महत्या दर तीन गुना ज़्यादा है. अमेरिका में 3.5 गुना अधिक और रूस-अर्जेंटीना में चार गुना अधिक है. डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 40% देशों में प्रति एक लाख पुरुषों पर 15 से अधिक आत्महत्याएं होती हैं. महिलाओं के लिए यह आंकड़ा 1.5% के करीब है.

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क्या हैं इसके बड़े कारण?
हाल ही में UN के प्लेटफार्म पर HDR की एक रिपोर्ट जारी की गई. जिसके मुताबिक, COVID -19 महामारी से पहले दुनिया भर में 8 में से एक व्यक्ति मेन्टल हेल्थ से जुड़ी समस्या का शिकार बन चुका है. या ये कहे की दुनिया भर में 970 मिलियन लोग मानसिक स्वास्थ्य विकार से पीड़ित है. आंकड़ों की माने तो पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज़्यादा डिप्रेशन या अन्य मानसिक समस्या से जूझ रही है.

मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं ही दुनिया भर में सुसाइड का एकमात्र कारण है. इसके शिकार बच्चे, टीनएजर और बुजुर्ग सबसे ज़्यादा है. WHO का अनुमान है कि विश्व स्तर पर लगभग 20% बच्चे, टीनएजर, 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 15% लोग मेंटल प्रोब्लेम्स  से पीड़ित हैं. 

बड़े बुज़ुर्ग हमेशा से कहते आये है की किसी भी बात से जुड़ी चिंता सामान होती है. लेकिन फिर भी आज के समय सबसे आम मानसिक विकार का कारण चिंता है. दुनिया भर में  किसी न किसी वजह से 300 मिलियन लोग anxiety और  280 मिलियन लोगों  Depression के चंगुल में फंसे है.

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महिलाएं क्यों है बड़ी संख्या में डिप्रेशन का शिकार  
भारत सहित दुनयाभर में महिलाओं का लाइफस्टाइल ऐसा है कि किसी न किसी वजह से बचपन से टीनएज और शादी होने तक तमाम तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है. हालांकि, वक्त से साथ हालात सुधरे हैं. महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हुई हैं. उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है, फिर भी डिप्रेशन का खतरा उनमें अधिक है.'द लांसेट साइकेट्री' की  रिपोर्ट के मुताबिक, डिप्रेशन की शिकार महिलाएं आत्महत्या (Suicide) जैसे कदम ज्यादा उठाती हैं.रिपोर्ट के अनुसार, हर सात में से एक भारतीय में किसी न किसी रूप में यह दिमागी बीमारी पाई गई है. इसके कई रूप हैं. जिन्हें डिप्रेशन , anxiety, सिज़ोफ्रेनिया और बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के नाम से जाना जाता है. लेकिन इन सबके बावजूद भी महिलाए पुरुषों के मुकाबले मानसिक तौर पर ज़्यादा मजबूत और इमोशनली स्ट्रांग होती है.

पुरुष क्यों करते हैं ज्यादातर सुसाइड
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के मुताबिक, पुरुषों में general primary care consultation rates दर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में 32% तक कम है. आसान शब्दों में कहें तो शुरू से ही हर सोसाइटी में पुरुष को "टफ मैन" की तरह देखा जाता है. पुरुष यानी वो इंसान को सबकुछ अपने अंदर समेट रख सकता है. जो चाह कर भी अपने अंतरमन में चलने वाली उथल-पुथल को नहीं दिखा सकता है, न ही रो सकता है. क्योंकि वो टफ है. उसे रेस्पोंसिबल बनना है.

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साइंस और अध्यात्म दोनों ही इस ओर इशारा करते हैं कि पुरुषों में चाहकर भी न रो पाने वाली आदत गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है. कुछ हालातों में यह इतना गंभीर रूप तक ले लेती है कि व्यक्ति के पास जीवन को समाप्त करने के अलावा कोई और विकल्प नजर ही नहीं आता है.  
 
भारत में क्या हैं सुसाइड के आंकड़े
कहते हैं युवा आबादी भारत के लिए वरदान है. लेकिन ये वरदान अपने साथ हजारों समस्या भी लेकर आया है. आंकड़े बताते हैं कि देश में 34% सुसाइड से हुई मौतें 15-29 साल के लोगों की हुई है. WHO के अनुसार, भारत में महिलाओं की आत्महत्या दर 16.4 प्रति 100,000 और पुरुषों की 25.8 है. वही  दुनिया भर में हर साल लगभग 800,000 लोग आत्महत्या करते हैं. इनमें से 135,000 (17%) भारतीय हैं. NCRB की रिपोर्ट की मानें तो देश में 2021 में प्रति एक लाख की आबादी पर आत्महत्या के मामलों की राष्ट्रीय दर 12 रही है. ये आंकड़े डराने  वाले है.

NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, साल दर साल महिलाओं से ज़्यादा पुरुषों में आत्महत्या की टेंडेंसी बढ़ती जा रही है. साल 2019 में 97,613 पुरुषों जबकि 41,493 महिलाओं ने आत्महत्या की थी. वही भारत में आत्महत्या से होने वाली मौतों का बोझ बढ़ गया है. 2020 से 7.2 प्रतिशत और  2021 में  1,64,033 लोगो ने ख़ुदकुशी की है. वहीं Accidental Deaths & Suicides in India 2021 की रिपोर्ट में बताया गया कि देश में आत्महत्या के मामलों में कुल पुरुष: महिला अनुपात 72.5: 27.5  है. वही आंकड़े ये भी बताते है की  लगभग 68.1% पुरुष पीड़ित विवाहित थे, जबकि सुसाइड से मरने वाली महिलाओं 63.7% थी.

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