डीएनए हिंदी: Women Reservation Act 2023- देश में महिलाओं की संसदीय प्रक्रिया में भागीदारी बढ़ाने वाला महिला आरक्षण विधेयक अब कानून बन गया है. संसद में हरी झंडी पा चुके महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदना अधिनियम) पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को हस्ताक्षर कर दिए. इसके साथ ही लोकसभा और देश की सभी विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो गई हैं. राष्ट्रपति के मंजूरी देने के बाद केंद्र सरकार ने तत्काल नारी शक्ति वंदना अधिनियम का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. इस बिल को संसद के विशेष सत्र में पेश किया गया था, जिसे 20 सितंबर को लंबी बहस के बाद लोकसभा ने 2 के मुकाबले 454 सांसदों की सहमति वाले बहुमत से पारित किया था. इसके बाद 21 सितंबर को यह बिल राज्यसभा में भी पास हो गया था. संसद में पास होने के बाद बिल को राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाता है. राष्ट्रपति की सहमति मिलने यानी उनके हस्ताक्षर करने के बाद ही बिल कानून में तब्दील होता है. महिला आरक्षण बिल को शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपनी सहमति दे दी.
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बना, लेकिन अब आगे क्या होगा?
महिला आरक्षण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून बन गया है. खास बात यह है कि लंबे समय बाद कोई बिल संसद में सरकार और विपक्ष, दोनों की समान मंजूरी से कानून की शक्ल में तब्दील हुई है. कानून बनने के बाद यह सवाल फिर से आपके मन में उठ रहा होगा कि क्या 2024 लोकसभा चुनाव में नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू हो जाएगा? यदि नहीं तो यह कब से लागू होगा और इसकी प्रक्रिया क्या रहेगी? चलिए इन सवालों के जवाब हम देते हैं.
पहले जान लीजिए क्या है इस कानून में
- महिला आरक्षण कानून लागू होने से लोकसभा और विधानसभाओं में महिला सीटें तय होंगी.
- महिलाओं के लिए सांसद-विधायक के तौर पर 33 फीसदी सीटें आरक्षित की जाएंगी.
- महिलाओं को यह आरक्षण फिलहाल 15 साल के लिए दिया जा रहा है.
- 15 साल बाद महिलाओं का आरक्षण बरकरार रखने के लिए संसद को दोबारा कानून को मंजूरी देनी होगी.
आरक्षण लागू करने के लिए पहले करानी होगी जनगणना
महिला आरक्षण लागू करने के लिए पहले सरकार को देश में जनगणना करानी होगी, जो साल 2021 में होनी थी. कोरोना महामारी के कारण 2021 में नहीं हो पाई जनगणना अब तक लटकी हुई है. हालांकि इसी साल जून में भारत के जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने प्रशासनिक सीमाएं 1 जनवरी 2024 से कराने की घोषणा की है, लेकिन यह एक बेहद जटिल प्रक्रिया है, जो धीमे तरीके से पूरी होती है. इस बार सरकार डिजिटल तरीके से जनगणना कराने की तैयारी में है, जिसमें संभवत: धार्मिक और जातीय गणना भी की जाएगी. नए साल में लोकसभा चुनाव भी होने के कारण इसका पूरा होना संभव नहीं लग रहा है.
जनगणना के आंकड़े सामने आने पर होगा परिसीमन
देश की बढ़ती आबादी के आधार पर लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन किया जाएगा. इससे निर्वाचन क्षेत्र नए सिरे से तय किए जाएंगे. इसमें निर्वाचन क्षेत्रों यानी सीटों की संख्या बढ़ना तय माना जा रहा है. इसे ऐसे समझें कि मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीट हैं. यदि वहां की जनसंख्या बढ़ी तो परिसीमन होने पर ये लोकसभा सीट बढ़कर 86 पहुंच जाएंगी. इसी तरह अभी फिलहाल लोकसभा में 543 सीट हैं, जिनमें महिला आरक्षण लागू होने पर महिला सांसदों को 181 सीट मिलेंगी. यदि परिसीमन होता है तो हर प्रदेश में सीटों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे संसद में महिला सांसदों की संख्या भी बढ़ जाएगी. हालांकि परिसीमन की प्रक्रिया भी जनगणना की तरह बेहद धीमी और जटिल होती है.
संविधान में परिसीमन के लिए क्या कहा गया है?
भारत के संविधान में परिसीमन को लेकर स्पष्ट निर्देश हैं. अनुच्छेद-82 में कहा गया है कि राष्ट्रपति के आदेश पर चुनाव आयोग परिसीमन का काम करता है. देश में हर 10 साल में जनगणना होने पर उसके आधार पर ही परिसीमन कराया जाता है. हालांकि साल 2002 में हुए कानून संशोधन के कारण देश में परिसीमन का काम साल 2026 के बाद ही शुरू हो सकता है. इससे स्पष्ट है कि महिला आरक्षण कानून कम से कम 2026 में परिसीमन से पहले तो लागू नहीं हो सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि साल 2029 में ही महिला आरक्षण लागू हो पाएगा.
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