डीएनए हिंदी: Uttar Pradesh News- भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) के खिलाफ आंदोलन कर रहीं महिला पहलवानों को खाप पंचायतों का साथ मिल गया है. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सोरम गांव में सर्वखाप पंचायत के दौरान पहलवानों की लड़ाई सर्वसमाज द्वारा लड़ने की हुंकार भरी गई. ऐलान किया गया कि खाप प्रतिनिधिमंडल देश की राष्ट्रपति और गृहमंत्री से मिलकर उनसे न्याय मांगेगा. पहलवान बेटियों को हारने नहीं दिया जाएगा. हालांकि खाप पंचायत में इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने को लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया गया. कहा गया कि फैसला सुरक्षित रख लिया गया है, जिसे 2 जून को कुरुक्षेत्र में हो रही पंचायत के दौरान सर्वसमाज को सुनाया जाएगा.
उधर, पंजाब और हरियाणा में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने पहलवानों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए कई जगह प्रदर्शन किए हैं.
'हम लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे'
सोरम में सर्वखाप पंचायत में पहुंचे भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा, खाप पंचायत और ये बेटियां (पहलवान) नहीं हारेंगे. जल्द ही एक फैसला लिया जाएगा. खाप प्रतिनिधि राष्ट्रपति और गृह मंत्री से मिलेंगे. पहलवानों को हताश नहीं होना है. हम लड़ाई लड़ेंगे और इसे जीतेंगे भी. पहलवानों की लड़ाई अब सर्व समाज लड़ेगा और यह संघर्ष इंसाफ मिलने तक जारी रहेगा. पहलवानों की पहचान तिरंगा है.
'जीतकर लौटने पर भी पूछी थी क्या इनकी जाति'
त्यागी, ब्राह्मण, भूमिहार समाज के अध्यक्ष मांगेराम त्यागी ने पहलवान बेटियों से जाति पूछने वालों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, जब ये विदेश में खेलकर जीती थीं, तब भी क्या आपने इनकी जाति पूछी थी. ये देश की बेटियां थीं. इन लोगों ने हमारी बेटियों को जातियों में बांट दिया है. उन्होंने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर पर भी जुबानी हमला बोला. उन्होंने कहा, वे अपनी मर्यादा भूल गए हैं. पुलिस के सिपाही आज बेटियों के सिर पर पैर रखकर खड़े हैं. ये शर्म की बात है.
'बेटियों को आंख दिखाई तो नोंच लेंगे'
त्यागी ने कहा, यहां सभी खाप चौधरी बैठे हैं. हमारा वादा है कि सर्वसमाज खून की बलि देगा. यदि हमारी बेटियों को आंखे दिखाई गई तो आंखे नोंच लेंगे. मोदी सरकार को 2024 में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. पालम 360 के चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने सरकार अगर बलिदान चाहती है तो हम बलिदान देने के लिए भी तैयार हैं. पाकिस्तान तक जाने वाले प्रधानमंत्री दिल्ली के जंतर मंतर पर ही क्यों नहीं जाते?
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