डीएनए हिंदी: यासीन मलिक (Yasin Malik) को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने (NIA) कोर्ट ने आतंकवाद (Terror Case) से जुड़े एक केस में दोषी करार दिया है.यासिन मलिक की सजा पर फैसला 25 मई को होने वाला है. कोर्ट ने यासिन मलिक की आर्थिक स्थिति जांचने के आदेश दिए हैं. अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) ने हाल ही में NIA कोर्ट के सामने अपने सभी आरोपों को स्वीकार किया था.
यासीन मलिक ने मान माना था कि वह आतंकी गतिविधियों (Terrorist Activities) में लिप्त था. उसने यह भी अदालत में कुबूल किया था कि वह आपराधिक साजिशों में शामलि रहा है. उसके खिलाफ लगाई गई देश द्रोह की धाराएं सही हैं.
यासीन मलिक ने सुनवाई की आखिरी तारीख पर अदालत के सामने कहा था कि वह धारा 16, 17, 18 और यूएपीए की धारा 20 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और 124-ए सहित अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों के खिलाफ केस नहीं लड़ेगा.
Yasin Malik ने स्वीकार किए आतंकवाद और देशद्रोह के सारे गुनाह, अब सजा की बारी
क्या हैं यासीन मलिक पर आरोप?
यासीन मलिक के खिलाफ UAPA की अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज हैं. अलगाववादी नेता राजद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोपों का भी सामना कर रहा है. अब उसने खुद अपने गुनाहों को कबूल कर दिया है.
यासीन मलिक ने कहा है कि वह इन धाराओं के तहत लगाए गए आरोपों को खारिज नहीं कर कर रहा है. यासीन मलिक मुकदमा नहीं लड़ना चाहता और अदालत अब सीधे उसकी सजा पर जिरह कर रही है.
25 मई से सजा पर होगी बहस
स्पेशल जज प्रवीण सिंह यासीन मलिक को दी जाने वाली सज़ा पर दलीलें की सुनवाई की. अब यासीन मलिक की सजा पर ही बहस होनी है. अब तक जो आरोप यासीन मलिक पर लगाए गए हैं उनमें उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान हैं. 25 मई से यासीन मलिक की सजा पर बहस होगी.
Yasin Malik: टेरर फंडिंग, देशद्रोह और पाकिस्तान से कनेक्शन, अलगाववादी सरगना के गुनाहों का कच्चा चिट्ठा
और किन नेताओं के नाम हैं शामिल?
यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट, उर्फ पीर सैफुल्ला और समेत कई कश्मीरी अलगाववादी नेताओं पर टेरर फंडिंग की गाज करने वाली है. आपराधिक साजिश, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के भी आरोप तय किए गए हैं.
क्या हैं यासीन मलिक और उसके सहयोगियों पर आरोप?
16 मार्च के आदेश में, एनआईए के स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने कहा था कि गवाहों के बयान और दस्तावेजी सबूतों से यह साफ हुआ है कि सभी अलगाववादी गुटों से जुड़े थे. ये लोग टेरर फंडिंग में शामिल थे और अपने संबंधों का इस्तेमाल कर रहे थे. लश्कर-ए-तैयबा (LeT), हिजबुल-मुजाहिदीन (HM), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से अलग-अलग वक्त में इनके संबंध रहे हैं.
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