डीएनए हिंदीः अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. अदालत ने JKLF चीफ पर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है. टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक को उम्रकैद की दो सजा सुनाई गई हैं. इसके अलावा उसे 10 अपराधों में 10 साल का कठोर कारावास सुनाई गई है. उन्होंने बताया कि सभी सजा साथ-साथ चलेंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुरक्षा वजहों के चलते मलिक को तिहाड़ जेल में कोई काम नहीं सौंपा जाएगा. जेल नंबर 7 के अंदर उसे अकेले बंद किया जाएगा. साथ ही इस दौरान वो किसी भी परोल या फरलो के हकदार नहीं होगा. यानी जेल से उसे कोई छुट्टी भी नहीं मिलेगी.
जेल में रहेगा अकेला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यासीन मलिक को जेल में अकेले रखा जाएगा. फिलहाल उसे सुरक्षा कारणों के अतिसुरक्षित जेल नंबर 7 में रखा गया है. जेल अधिकारियों के अलावा खुफिया ब्यूरो द्वारा मलिक की सुरक्षा की नियमित निगरानी की जाएगी. जानकारी के मुताहिक यासीन मलिक को कोई काम भी नहीं दिया जाएगा. वो जेल में अकेला ही रहेगा.
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क्या कहना है नियम?
जानकारी के मुताबिक सजा के तीन साल बाद परोल और फरलो की अनुमति दी जाती है. जेल नियमावली के अनुसार आतंकी मामलों के दोषियों को परोल और फरलो की सुविधा नहीं दी जाती है. वह कम से कम 14 साल जेल में पूरा करने के बाद ही समय से पहले रिहाई के लिए आवेदन कर सकेगा. हालांकि यह भी इतना आसान नहीं होता है. 14 साल की सजा पूरी होने के बाद भी समीक्षा बोर्ड तय करता है कि दोषी को जेल से रिहा किया जाए या नहीं.
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