लावारिस लाशों के असली 'वारिस' हैं ये 12 दोस्त, अब तक 650 शवों का अंतिम संस्कार

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 22, 2022, 10:37 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

जिन्हें अपनों का 'कंधा' नसीब नहीं होता उनका ये 12 दोस्त करते अंतिम संस्कार. अब तक 650 लाशों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार...

डीएनए हिन्दी: हिन्दू धर्म में मोक्ष का खासा महत्व है. मान्यता है कि इस दुनिया से रुखस्त होने के बाद उस शख्स का विधि-विधान से दाह संस्कार करना चाहिए. उसके बाद पिंड दान, यही मोक्ष की पहली सीढ़ी है. आपने आमतौर पर देहांत के बाद शव का परिजनों की मैजूदगी में अंतिम संस्कार होते देखा होगा. लेकिन, आपने सोचा है जो व्यक्ति लावारिस होते हैं उनका क्या होता है? इसी सवाल का जवाब है हिसार के 12 दोस्तों का ग्रुप.

हिसार के 12 दोस्तों का यह ग्रुप लावारिस लाशों का पूरे विधि-विधान के साथ लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाते हैं. इस ग्रुप के संस्थापक सुभाष बजाज ने बताया कि हर रोज की तरह एक रात हम बैठे थे. गपशप चल रही थी. इसी बीच चर्चा हुई कि हम कुछ ऐसा करें कि जब दुनिया छोड़े तो लोग कहें कि हमने भी कुछ किया है. उसी के बाद यह शुरुआत हो गई. इन 12 लोगों दो गैरसरकारी संस्था का निर्माण किया और उसके माध्यम से अपने मिशन को आगे बढ़ा दिया.

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7 साल पहले शुरू हुए इस ग्रुप ने अब तक 650 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाया है. ये 12 दोस्त विश्व जागृति मिशन और मानस सेवा समिति के रूप में संस्था बनाकर काम कर रहे हैं. ये एक कॉल पर 10 मिनट में इकट्ठे हो जाते हैं. विधि-विधान के साथ लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाना इनकी आदत बन गई है.

संस्था से जुड़े राकेश सैन कहते हैं कि शुरू में हमारी बहुत निंदा हुई. लेकिन, हमने लोगों की नहीं सुनी, हम अपना काम करते गए. इसके बाद हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा. संस्था के संस्थापक सुभाष बजाज ने कहा कि कुछ समय पहले हमरी संस्था को बदनाम करने के लिए किसी ने इसके नाम पर पैसा वसूलना शुरू कर दिया था. वास्तव  हम इस काम के लिए किसी से कोई पैसा नहीं लेते. 

अंतिम संस्कार के बाद ये शवों की अस्थियां भी सुरक्षित रखते हैं. कुछ दिन इंतजार करते हैं अगर उसका कोई वारिस आ गया तो ठीक नहीं तो 2 महीने बाद इन अस्थियों को हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित कर देते हैं.

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