Marriage in Arya Samaj Mandir: आर्य समाज का सर्टिफिकेट शादी साबित नहीं करता: हाई कोर्ट

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 06, 2022, 10:26 AM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बिना अनुष्ठान के ही आर्य समाज मंदिर द्वारा मैरिज सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है...

डीएनए हिन्दी: आर्य समाज को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है. आर्य समाज द्वारा जारी किए जाने वाले मैरिज सर्टिफिकेट को लेकर हाई कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज बिना उपयुक्त जांच के मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर रहा है. 

एक पिटिशन की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज बिना उचित अनुष्ठान के मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर रहा है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ मैरिज सर्टिफिकेट के आधार हम विवाह को साबित नहीं कर सकते हैं.

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा कि आर्य समाज समितियों द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट से अदालत भरा हुआ है. कई मामलों में कोर्ट द्वारा गंभीरता से पूछताछ की गई. पूछताछ में पाया गया कि आर्य समाज बिना विवाह कार्यक्रम को आयोजित किए ही मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर रहा है. 

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यह मामला भोला सिंह नाम के एक शख्स द्वारा दायर की गई थी. जिसमें उन्होंने आर्य समाज मंदिर गाजियाबाद द्वारा जारी एक मैरिज सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उसने कानूनी रूप से शादी की है.

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया है कि उसकी पत्नी को उसके मायके वालों ने अवैध रूप से बंदी बनाकर रखा है. यह बात साबित करने के लिए उसने गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट भी पेश किया. 

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इस मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि इस विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है, इसलिए सिर्फ मैरिज सर्टिफिकेट के आधार पर यह नहीं माना जा सकता कि दोनों पक्षों ने विवाह किया है. 

अदालत ने भोला सिंह की याचिका को खारीज करते हुए कहा कि मौजूदा मामले में महिला बालिग है और उसके पिता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है और इस मामले में जांच चल रही है, इसलिए अवैध रूप से बंदी बनाकर रखने का कोई मामला नहीं है.

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