Saran Hooch Tragedy: जहरीली शराब ने निगली 60 जिंदगियां, 'बयानवीरों' के बयान पर सियासत तेज, कब चेतेगी सरकार

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 17, 2022, 08:23 AM IST

बिहार में शराबबंदी के बाद भी नहीं थम रहा शराब का कारोबार, अपनों की मौत पर बिलखते परिजन. (फाइल फोटो)

बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है. अब तक 60 लोगों ने जान गंवा दी है.

डीएनए हिंदी: बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब पीने से अब तक 60 लोगों की मौत हो गई है. शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती 5 लोगों की मौत हुई है. मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं, साथ ही सरकार पर सवाल भी कि अगर राज्य में शराबबंदी नीति लागू है तो कैसे शराब पीकर लोगों की मौत हो रही है. शराब कांड पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार विपक्ष के निशाने पर है. जिन पांच लोगों की शुक्रवार को मौत हुई है, वे ब्रह्मस्थान और सोंधनी गांव के रहने वाले हैं. 

बेगूसराय में एक युवक ने भी एक लिक्विड पीने के बाद जान गंवा दी, वहीं उसके दो दोस्तों का वही पदार्थ पीने के बाद इलाज चल रहा था. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मृतक की पहचान तेघड़ा थाना क्षेत्र के पुराना बाजार मोहल्ले के संदीप कुमार के तौर पर हुई है. संदीप की उम्र 30 साल है. शुक्रवार को पटना ले जाते समय उसकी मौत हो गई. उसके साथ रसायनों का सेवन करने वाले अन्य लोग शिवम कुमार और दीपक पोद्दार थे. 

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थम क्यों नहीं रहा है मौतों का सिलसिला

बेगूसराय के एसपी योगेंद्र कुमार ने कहा कि दो रासायनिक बोतलें जब्त की गईं और उन्हें परीक्षण के लिए फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया. अब यह चेक किया जाएगा कि यह केमिकल शराब है या नहीं. आशंका यही जताई जा रही है कि यह शराब ही होगा. शराबबंदी के बाद भी शराब की बोतलें, सरकार और समाज की चिंता बढ़ा रही हैं. ये मौतें नीतीश कुमार की शराबबंदी योजना की पोल खोल रही हैं. 

सारण में जहरीली शराब से मरने वाले लोगों की संख्या सरकार 30 ही बता रही है. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बीते तीन दिनों में जिले के मशरक और उसके आसपास के इलाकों में संदिग्ध जहरीली शराब के सेवन से लगभग 60 लोगों की मौत हो गई है.

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60 जिंदगियों पर भारी पड़ी 20 रुपये की शराब 

बिहार में 60 जिंदगियों पर 20 रुपये की शराब भारी पड़ी है. 60 लोगों ने सारण जिले में शराब पीने की वजह से जान गंवा दी है. छपरा, सीवान और बेगूसराय के लोगों की मौत ज्यादा हुई है. अब इन परिवारों के पास अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं हैं.  

बयानवीरों के नहीं थम रहे हैं बयान

जहरीली शराब से मौतें तो हुईं हैं लेकिन सत्ता में बैठे बयानवीरों के बयान बेहद शर्मनाक हैं. नीतीश कुमार से सवाल पूछो तो वे बौखला जा रहे हैं. 14 दिसंबर को नीतीश कुमार ने बिहार की विधानसभा में सवाल पूछने वाले बीजेपी विधायकों को जमकर लताड़ा और यहां तक कह दिया कि शराबी हो गए हो तुम लोग, भगाओ सबको. नीतीश कुमार का साफ कहना है कि 'पियोगे तो मरोगे ही.'

आरजेडी के मंत्री समीर महासेठ का बयान तो और चिंताजनक है. वह लोगों को स्टेमना बढ़ाने की सलाह भी दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से बचने के लिए शरीर में स्ट्रेंथ बढ़ानी होगी. बिहार में शराबबंदी है, जो भी अवैध शराब बिक रही है वो जहर ही है. इस जहरीली शराब को पीने और मरने से बचने के लिए शरीर में पावर (स्ट्रेंथ) को बढ़ाना होगा. इसके लिए दौड़ना, स्पोर्ट्स एक्टिविटी में ज्यादा हिस्सा लेना होगा. भारतीय जनता पार्टी सत्तारूढ़ सरकार को पर बयानबाजी को लेकर लगातार निशाना साध रही है.

कब चेतेगी सरकार?

सरकार की शराबबंदी योजना हमेशा से सवालों के घेरे में रही है. बीजेपी का दावा है कि शराबबंदी से 35,000 करोड़ का नुकसान हो गया है, 1,000 लोगों की मौत हो चुकी है फिर भी नीतीश कुमार शराबबंदी की समीक्षा क्यों नहीं कर रहे हैं.

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