'आंखों से सामने चीख रही थी मां, पापा ने मिट्टी का तेल डालकर लगा दी आग'

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 29, 2022, 02:03 PM IST

बच्चियों ने बताया, 14 जून 2016 के दिन को वो आज तक भूल नहीं पाई हैं. यही वो दिन था जब उनके पिता और घरवालों ने मिलकर उनकी मां को जिंदा जलाया था. मां का अपराध बस इतना था कि वो एक बेटे को जन्म नहीं दे पाईं.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दो साहसी बेटियां ने अपनी मां के हत्यारे को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. मां की हत्या करने वाला शख्य और कोई नहीं, खुद उनका पिता था.  मामला 6 साल पुराना है. बच्चियों का कहना है कि उन्हें अपनी मां की चीखें आज तक याद हैं. आज भी जब वे आंखें बंद करती हैं तो अपनी मां को देखती हैं. 'हमने अपनी आंखों के सामने हमें जन्म देने वाली महिला को मरते हुए देखा था. वो चिल्लाती रहीं लेकिन किसी को उनकी आवाज सुनाई ना दी.' 

क्या है पूरा मामला?
बच्चियों ने बताया, 14 जून 2016 के दिन को वो आज तक भूल नहीं पाई हैं. यही वो दिन था जब उनके पिता और घरवालों ने मिलकर उनकी मां को जिंदा जलाया था. मां का अपराध बस इतना था कि वो एक बेटे को जन्म नहीं दे पाईं. अब जब 6 साल बाद उन्हें इंसाफ मिला तो मन में एक अलग ही शांति है. 

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बुधवार को पिता मनोज बंसल को उम्रकैद की सजा मिलने के बाद दोनों बेटियों के चेहरे पर खुशी थी. फैसला आने के बाद बड़ी बहन लतिका (21) ने बताया, 'वो दिन में कभी नहीं भूल सकती. 14 जून को मां ने हमारे लिए नाश्ता बनाया था. हम स्कूल जाने वाले थे तभी दादी के तानों की आवाज सुनाई देने लगी. उन्हें हम पसंद नहीं थे. वो चाहती थी कि मां भी हमसे बात न करे. उस दिन फिर उन्होंने मां से कहा कि इनका हम क्या करेंगे, तू एक लड़का नहीं दे सकती? मां ने दादी को ऐसा कहने से रोका तो पापा इससे इतने नाराज हो गए कि उनके ऊपर मिट्‌टी का तेल छिड़ककर माचिस की जलती तीली फेंक दी. मेरी मां हमारे सामने जल रही थी. हमने पुलिस को फोन किया लेकिन कोई मदद को नहीं आया. एंबुलेंस भी बुलाई लेकिन वो भी नहीं आई. आखिरी में मामा को फोन किया वो 10 मिनट बाद घर पहुंचे. मां 95 प्रतिशत जल चुकी थी और कुछ देर बाद ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. एक वो ही तो थी जो हमारी थी. वो भी चली गई तो हमारी दुनिया तो वहीं खत्म हो गई लेकिन उसी दिन कसम खा ली थी कि उसके कातिल को सजा जरूर दिलाएंगे.'

बेटी ने आगे बताया, 'हमने घर छोड़ दिया और नानी के घर में रहने लगे. मेरे कातिल पिता और उसके घर वालों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. कुछ समय बाद परिवार वालों को छोड़ दिया गया और पिता जेल चले गए. हालांकि, 2 साल बाद ही वो जमानत पर बाहर आ गए. उन लोगों ने तो कभी हमें अपना समझा ही नहीं, जब तान्या (18) हुई तो भी खूब खरी खोटी सुनाई गईं. इतना ही नहीं, शादी के 16 साल बाद तक मां को बेटा ना हुआ तो हम तीनों को घर के बाहर फेंक दिया गया. पापा की दूसरी शादी कराने की बात कही जा रही थी तब भी मेरी मां बहुत रोई थी. मामा ने लोगों को समझाने तो हमें दोबोरा घर में आने दिया.' 

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लतिका ने बताया कि उनकी मां की मौत के बाद पुलिस की तरफ से पहले दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की गई थी. बाद में उन्होंने अपने खून से पूर्व सीएम अखिलेश यादव को लेटर लिखा तो पिता और घरवालों को हिरासत में लिया गया.

वहीं, अब बीते बुधवार को अपर सत्र न्यायाधीश न्याय कक्ष संख्या-6 विवेक कुमार ने अभियुक्त पति को उम्रकैद की सजा सुनाई. मां की हत्या को साबित करने में दोनों बेटियों ने न्यायालय में गवाही दी. न्यायाधीश ने अभियुक्त पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. मां के कातिल को सजा दिलाने के बाद बहनों के चेरहे पर खुशी दिखी. हालांकि, उनका कहना है कि इस अपराध में उनकी दादी स्नेहलता और ताऊ राजेश बंसल का भी बराबर का हाथ है. वे चाहती हैं कि उन्हें भी सजा मिले. घटना के समय वे लोग मौके पर थे और पिता का साथ दे रहे थे.

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