डीएनए हिन्दी: स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के ठीक 3 दिन पहले दिल्ली पुलिस ने 2,000 से ज्यादा जिंदा कारतूस बरामद किए थे. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 6 लोगों को अरेस्ट किया था. अब इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. पूछताछ और जांच में पता चला है कि यह गिरोह उत्तराखंड से कारतूस और राइफल्स दिल्ली के रास्ते बिहार पहुंचाता था. इस काम के लिए ये लोग दिल्ली से बिहार जाने वाली बसों का इस्तेमाल करते थे. जांच में पता चला है कि ये हथियार मुख्य रूप से बिहार के खनन माफियाओं तक पहुंचाया जाता था.
अभी दो दिन पहले दिल्ली पुलिस ने इस गिरोह के सरगना को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से दबोचा है. सरगना का नाम शुभम सिंह बताया जा रहा है. पुलिस ने दावा किया है कि कुछ दिन पहले ही शुभम ने बिहार के माफियाओं को 6 राइफल्स की सप्लाई की थी. पुलिस अब हथियारों के खरीददार को भी दबोचने की तैयारी कर रही है.
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आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि बिहार के आरा और पटना जिले में सोन नदी बड़े पैमाने पर खनन का काम चलता है. सरकार इनका टेंडर निकलाती तो कई जगहों पर अवैध खनन होता है. ऐसे में बालू माफियाओं के बीच टकराव बराबर चलता रहता है. माफियाओं को अपना दबदबा बनाए रखने के लिए हथियार और कारतूस की जरूरत पड़ती है. यह गिरोह ऐसे माफियाओं से संपर्क कर महंगे दामों में हथियारों की सप्लाई करता है.
दिल्ली पुलिस ने कारतूस के साथ जिन लोगों को अरेस्ट किया था उसमें देहरादून के एक परीक्षित नेगी भी है. वह एक गन हाउस का मालिक हैं. वह मेरठ जेल में बंद अनिल और जौनपुर के बदमाश शुभम सिंह के लिए कारतूस मुहैया करता था. इस काम के लिए वह हथियारों के रेकॉर्ड में हेराफेरी भी करता था.
इस मामले में पुलिस ने अब तक 7 लोगों को अरेस्ट किया है. इनमें अजमल, राशिद, परीक्षित नेगी, सद्दाम, अकरम और नासिर शामिल हैं. साथ ही गिरोह के सरगना शुभम सिंह भी है.
दिल्ली पुलिस की जांच में पता चला है कि गिरोह का सरगना शुभम सिंह 17 साल की उम्र से हथियारों की तस्करी कर रहा है. पहले वह मेरठ के हथियार तस्कर अनिल बाल्यान के संपर्क में था. अनिल ने ही उसे परीक्षित नेगी से मिलवाया था. उसके बाद से ही वह देहरादून से बिहार के लिए हथियारों की तस्करी कर रहा था.
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