डीएनए हिंदी: शराब घोटाले (Liquor Scam) के आरोपों से घिरे दिल्ली (Delhi) के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) अब एक नए विवाद में फंस सकते हैं. दिल्ली के उप-राज्यपाल सचिवालय से जारी किए गए दिशा-निर्देश के मुताबिक पिछले 5 साल में दिल्ली सरकार (Delhi Government) के तहत आने वाले किसी भी विश्वविद्यालय का ऑडिट नहीं किया गया. नियमों के मुताबिक हर साल ऑडिट होना चाहिए.
उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग मनीष सिसोदिया के पास है और वो ही इस विभाग के मंत्री भी हैं. उप-राज्यपाल सचिवालय से 30 अगस्त को जारी हुए नोट में दिल्ली फॉर्मास्यूटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (DPSRU) के कुलपति से ऑडिट ना कराने के लिए 15 दिनों के अंदर जवाब देने को कहा गया है.
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साथ ही उन्हें इस देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की डिटेल देने के लिए भी कहा गया है. साल 2015-16 से 2021 तक के बीच DPSRU के खातों का ऑडिट नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) से नहीं कराया गया है. मई 2019 में तत्कालीन उप-राज्यपाल ने DPSRU के खातों की जांच CAG से कराने का आदेश दिया था लेकिन इसकी जांच अभी तक नहीं हो पाई है.
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जांच में देरी के लिए बदले सेक्शन
सूत्रों के मुताबिक खातों की जांच में देरी करने के लिए DPSRU की तरफ से यूनिवर्सिटी एक्ट के सेक्शन 27 और कैग एक्ट (1971) के सेक्शन 20 के तहत प्रावधान भेजा गया जब्कि जांच का ये प्रावधान कैग एक्ट के सेक्शन 19(3) के तहत भेजा जाना चाहिए था.
कैग ने दिल्ली सरकार के अधीन आने वाली चार और यूनिवर्सिटी के खातों की जांच के लिए कहा था. इन विश्वविद्यालयों में इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉर्मेशन टेकनोलॉजी (IIIT-Delhi), इंदिरा गांधी दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय (महिलाओं) (IGDTUW), दिल्ली टेकनोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (DTU) और नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेकनोलॉजी शामिल हैं.
फाइल पर नहीं किए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने साइन
कैग की इस सलाह के बाद अगस्त 2022 में दिल्ली सरकार की ओर से विश्वविद्यालयों के खातों की जांच की फाइल उप-राज्यपाल सचिवालय भेजी गई. इस फाइल पर भी दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपने साइन नहीं किए थे. इससे पहले भी उप-राज्यपाल सचिवालय केजरीवाल पर जिम्मेदारी से बचने के लिए फाइलों पर साइन न करने की बात कह चुका है.
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कैग ऑडिट में सामने आएगा घोटाला ?
उप-राज्यपाल सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल सरकार विश्वविद्यालयों का ऑडिट कराने से इस वजह से परहेज कर रही है क्योंकि पिछले पांच साल में दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले विश्वविद्यालयों में वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं जिसकी वजह से दिल्ली सरकार ऑडिट नहीं करा रही है. इस आदेश के बाद एक बार फिर केजरीवाल सरकार और उप-राज्यपाल सचिवालय आमने होंगे .
पहले से ही दोनों तरफ से एक दूसरे पर आरोपों की बौछार की जा रही है जिसने राजधानी दिल्ली का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. उप-राज्यपाल के इस आदेश के बाद तय माना जा रहा है कि ये विवाद और बढ़ेगा.
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