Teachers Day Special:  उड़ीसा, बिहार, झारखंड और यूपी का छात्र-टीचर अनुपात सबसे खराब, जानिए अपने राज्य का हाल

अभिषेक सांख्यायन | Updated:Sep 05, 2022, 06:40 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Teachers Day Special: उड़ीसा, बिहार, झारखंड में शिक्षकों की भारी कमी है. उत्तर प्रदेश का कमोबेश यही हाल है. आइए आंकड़ों में हम जानने की कोशिश करते हैं कौन सा राज्य कहां खड़ा है...

डीएनए हिन्दी: अध्यापकों के बिना शिक्षा में कितना भी तकनीक का इस्तेमाल कर लिया जाए, अधूरा ही रहेगा. ऐसे में साल 2021 में आई यूनेस्को की रिपोर्ट चौंकाती है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में राज्य और केन्द्रीय स्कूलों के मिलाकर करीब 11.16 लाख अध्यापकों के पद खाली हैं. वहीं शिक्षा के अधिकार, 2009 कानून के तहत प्राथमिक स्तर पर बच्चों और अध्यापक का अनुपात 30 : 1 और इससे ऊपर के वर्ग में 35 : 1 होना चाहिए. वहीं 2009 में शुरू हुई राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) के अनुसार माध्यमिक स्तर पर पीटीआर (PTR) 30 : 1 होना चाहिए. आइए देखते है कि 13 साल के बाद, अध्यापक और छात्रों के अनुपात के मामले में आपका राज्य कहां खड़ा है?

उड़ीसा, बिहार, झारखंड और यूपी का PTR सबसे खराब
राज्यवार PTR के आकड़े खंगालने पर पता चलता है कि देश मे हर क्षेत्र की तरह यहां भी घोर असमानता मौजूद है. उड़ीसा में 11वीं और 12वीं छात्रों का PTR जहां 62 है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में Pupil Teacher Ratio महज 10 का है.

देश में 11वीं और 12वीं क्लास के लिए देश का औसत PTR 26 हैं. देश का बहुत बड़ा हिस्सा में PTR की स्थिति राष्ट्रीय औसत से खराब है. इन राज्यों में उड़ीसा (62), बिहार (60), झारखंड (55), उत्तर प्रदेश (40), महाराष्ट्र (37), आंध्र प्रदेश (30), कर्नाटक (28), तेलंगाना (28) और पश्चिम बंगाल (27) शामिल हैं.

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वहीं सबसे बेहतरीन PTR वाले बड़े राज्यों में हिमाचल प्रदेश (10), त्रिपुरा (12), हरियाणा (13), छत्तीसगढ़ (15), राजस्थान (16), उत्तराखंड (17), पंजाब (18), तमिलनाडु (20), दिल्ली (20), केरल (21) और गुजरात (26) शामिल हैं.

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देश के स्कूलों में कुल कितने छात्र और अध्यापक है?
शिक्षा विभाग के ताजा आकड़ों के अनुसार देश में कुल 26.43 करोड़ छात्र है. इननमें से अधिकतर प्राथमिक स्तर के छात्र (13.57 करोड़) हैं. वहीं देश मे कुल अध्यापकों की संख्या 1.06 करोड़ है. जिसमें से अधिकतर (60.6 लाख) प्राथमिक स्तर की शिक्षा दे रहे हैं.

क्या कहता है RTE Act, 2009?
बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक दोनों स्कूलों के लिए छात्र शिक्षक अनुपात (PTR) तय किया है. प्राथमिक स्तर पर पीटीआर 30 : 1 और उच्च प्राथमिक स्तर पर 35 : 1 होना चाहिए.

वहीं, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) के अनुसार माध्यमिक स्तर पर पीटीआर (PTR) 30 : 1 होना चाहिए.

यूनेस्कों की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
साल अक्टूबर 2021 में जारी हुई रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के सभी स्कूलों में कुल मिलाकर 11.16 लाख अध्यापकों के पद खाली हैं. इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि देश के करीब 10 से 15% स्कूल एकल अध्यापक विद्यालय (Single Teacher School) हैं. इस डेटा का आधार USDIE की साल 2019-20 की सालाना रिपोर्ट है.

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