पलामू टाइगर रिजर्व में नन्हे हाथी की मौत पर गुस्से में क्यों हैं लोग?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 06, 2022, 11:53 PM IST

पलामू का नन्हा हाथी.

ग्रामीणों ने कहा है कि नन्हे हाथी की मौत के लिए वन विभाग के कर्मचारी जिम्मेदार हैं. उनकी लापरवाही से नन्हे गजराज ने जान गंवाई है.

डीएनए हिंदी: झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में तीन महीने की उम्र वाले नन्हे हाथी की मौत हो गई है. नन्हे हाथी की मौत पर 12 से ज्यादा गांवों के लोग गम और गुस्से में हैं. लोग वन विभाग को हाथी की मौत के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं. उनका कहना है कि वनकर्मियों ने हाथी का ढंग से ख्याल नहीं रखा इस वजह से उसकी मौत हो गई.  

यह नन्हा हाथी लातेहार जिले के बरवाडीह के मंडल डैम इलाके में हाथियों के झुंड से बिछुड़ कर कोयल नदी में गिर गया था. बीते 8-9 सितंबर को स्थानीय ग्रामीणों और सीआरपीएफ के जवानों ने उसे रेस्क्यू कर बाहर निकाला था. उसे पलामू टाइगर रिजर्व में वन विभाग के कार्यालय में रखा गया था. नन्हे हाथी को देखने आसपास के लोग बड़ी संख्या में आ रहे थे. 

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स्थानीय लोगों और ग्रामीणों का आरोप है कि उसकी मौत वन विभाग के कर्मियों की अनदेखी और लापरवाही से हुई है. दूसरी तरफ वन विभाग के अफसरों का कहना है कि नन्हे हाथी की मौत बुखार की वजह से हुई है.

नन्हे हाथी की मौत पर रो पड़े ग्रामीण

गुरुवार को नन्हे हाथी की मौत की खबर जब टाइगर रिजर्व इलाके के आसपास के लोगों तक पहुंची तो लोग रो पड़े. नन्हे हाथी को देखने बीते 1 महीने से बड़ी संख्या में लोग आ रहे थे. गुरुवार को जब ग्रामीणों को सूचना मिली कि नन्हे हाथी को वन विभाग के कर्मी दफनाने के लिए ले जा रहे थे, तो उन्होंने वनकर्मियों की गाड़ी को घेर लिया. 

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ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए उन्हें गाड़ी से नीचे उतार दिया. ग्रामीणों का आरोप था कि हाथी के बच्चे की मौत के बाद उसे चोरी-छिपे दफनाने की तैयारी की जा रही थी. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज किया है.

क्या है वन विभाग की सफाई?

टाइगर रिजर्व के रेंजर शंकर पासवान ने बताया कि हाथी के बच्चे को बुधवार की दोपहर वायरल फीवर हुआ और इलाज के क्रम में उसने शाम में 7-8 बजे दम तोड़ दिया. नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड के पूर्व सदस्य और वन्य जीवन के जानकार प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव का कहना है कि उचित देखभाल एवं भोजन के ढंग से नहीं मिलने की वजह से हाथी के बच्चे की मौत हुई है.

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प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि एक माह पूर्व बच्चे को उस वक्त रेस्क्यू किया गया था, जब वह पानी में डूब रहा था. वह अपनी मां से बिछड़ गया था. कायदे से हाथी के बच्चे को उसकी मां से मिला देना था, मगर इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया. दूसरी ओर वन विभाग के अफसरों का कहना है कि टाइगर रिजर्व के कई क्षेत्रों में इस बच्चे की मां को खोजने की कोशिश हुई, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई. (IANS इनपुट के साथ) 

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