Lord Gautam Buddha: बिहार में भगवान बुद्ध से जुड़ा पीपल का वृक्ष पूरी तरह से जल कर राख

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 21, 2022, 06:42 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Lord Gautam Buddha: बिहार के मुजफ्फरपुर में भगवान बुद्ध से जुड़े एक पीपल के वृक्ष में आग लग गई. गांव वालों ने इस आग को बुझाने का पूरी कोशिश की, लेकिन आग नहीं बुझी. बताया जा रहा है कि बुधवार की सुबह यह वृक्ष पूरी तरह से जलकर राख हो गया. इस हादसे से गांव वाले बेहद निराश हैं...

डीएनए हिन्दी: बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में भगवान बुद्ध (Lord Gautam Buddha) से जुड़े एक पीपल के वृक्ष में आग लग गई. यह आग मंगलवार की देर रात लगी. गांव वालों ने इस आग को बुझाने का पूरी कोशिश की, लेकिन आग नहीं बुझी. बताया जा रहा है कि बुधवार की सुबह यह वृक्ष पूरी तरह से जलकर राख हो गया. इस हादसे से गांव वाले बेहद निराश हैं.

हिन्दुस्तान में छपी खबर के मुताबिक, गांव वालों का मानना था कि इस पीपल के वृक्ष में भगवान बुद्ध की आकृति बनी हुई थी. पूरा गांव इस वृक्ष की पूजा करता था. हालांकि, वृक्ष का ज्यादातर हिस्सा सालों से सूखा हुआ था. उस वृक्ष से कुछ नई शाखाएं निकली थीं, जिस पर हरी पत्तियां लगी हुई थीं. 

हालांकि, कोई ठोक प्रमाण नहीं है लेकिन कई इतिहासकार इसे भगवान बुद्ध के अंतिम वर्षावास स्थल के रूप में देखते थे. ध्यान रहे कि बारिश के मौसम में भगवान बुद्ध एक जगह ठहरते थे उसी स्थान को वर्षावास कहा जाता है. यह आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा के बीच का समय होता है.

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गांव वालों का कहना है कि यह पीपल का वृक्ष कितना पुराना है बता पाना मुश्किल है. ध्यान रहे कि  भगवान बुद्ध का आयु संस्कार वेलुवग्राम में हुआ था. कई इतिहासकार वर्तमान के बेलवर गांव को ही वेलुवग्राम मानते हैं. यह वृक्ष इसी गांव में था. कुछ ग्रामीण एवं प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि भगवान बुध का अंतिम संस्कार भी यहीं पर हुआ था. हालांकि, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है.

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गांव वालों को कहना है कि वे लोग हमेशा उस पीपल के वृक्ष की पूजा करते रहे हैं. मंगलवार की शाम भी की लोगों ने वृक्ष की पूजा-अर्चना की. रात में अचानक उस वृक्ष में आग लग गई. आग कैसे लगी यह किसी को पता नहीं चला. वृक्ष के जल जाने के बाद गांव वाले काफी उदास हैं, खासकर महिलाओं को यह आशंका सता रही है कि भगवान का पेड़ जल जाने से गांव में कोई अनहोनी घटना ना हो जाए. यह वृक्ष उस गांव की पहचान थी. ध्यान रहे कि बेलवर गांव वैशाली से सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर है.

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