MP Tigers Death: मध्य प्रदेश में क्यों हो रही बाघों की मौत? 6 महीने में 27 बाघों ने छोड़ी दुनिया

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 25, 2022, 11:52 AM IST

इस साल MP में 27 बाघों की हुई मौत

27 Tigers Death In MP: मध्य प्रदेश में पिछले 6 महीने में 27 बाघों की मौत हो चुकी है. किसी भी राज्य में यह बाघों की मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा है. इनमें से कुछ की मौत अवैध शिकार और बिजली से करंट लगने की वजह से भी हुई है. 

डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश को‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा मिला हुआ है. हालांकि, पिछले साढ़े छह महीने में 27 बाघों की मौत इसी राज्य में हुई है. यह आंकड़ा देश में सर्वाधिक है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस साल एक जनवरी से 15 जुलाई तक देश में कुल 74 बाघों की मौत हुई है. इनमें से मध्य प्रदेश में 27 बाघ मरे हैं. इस अवधि के दौरान किसी भी राज्य में मारे गए बाघों की संख्या में मध्य प्रदेश का आंकड़ा सबसे अधिक है. 

Tigers Death के आंकड़े चौंकाने वाले 
एनटीसीए के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां इस दौरान 15 बाघों की मौत हुई है. इसके बाद कर्नाटक में 11, असम में 5, केरल और राजस्थान में 4, उत्तर प्रदेश में 3, आंध्र प्रदेश में 2 और बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में एक-एक बाघ की मौत हुई है. अधिकारियों के अनुसार, इनमें से कुछ बाघों की मौत अवैध शिकार और करंट लगने से हुई है. कुछ बाघों की मृत्यु प्राकृतिक कारणों जैसे बीमारी, आपसी लड़ाई, ज़्यादा उम्र हो जाने की वजह से हुई है.

बता दें कि 31 जुलाई 2019 को जारी हुई राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार, 526 बाघों के साथ मध्य प्रदेश ने ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा दोबारा पाया है. 8 साल पहले प्रदेश से यह दर्जा छिनकर कर्नाटक के पास चला गया था. एमपी में 6 बाघ अभयारण्य हैं. इनमें कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय डुबरी शामिल हैं. 

अवैध शिकार भी बाघों की मौत का कारण
बाघों की मौत की बढ़ती संख्या पर वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रहे एनजीओ ‘प्रयत्न’ के संस्थापक अजय दुबे ने चिंता जताई है. उन्होंने कहा, ‘पन्ना में करीब 10 साल पहले कोई बाघ नहीं था. उसके बाद एनटीसीए ने राज्यों को सलाह दी कि वे खासकर शिकारियों से बाघों की सुरक्षा के लिए अपने स्वयं के विशेष बाघ सुरक्षा बल (एसटीपीएफ) स्थापित करें. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने एसटीपीएफ का समर्थन करने के लिए बजटीय प्रावधान किए हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक इसका गठन नहीं किया है. 

उन्होंने कहा कि अगर यह बल स्थापित हो जाता तो यह अवैध शिकार के अलावा, अवैध खनन और वन क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई जैसी अन्य गतिविधियों पर भी रोक लगाता. दुबे ने यह भी कहा कि कर्नाटक, ओडिशा एवं महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने एसटीपीएफ बनाए हैं. इसके नतीजे भी दिखाई भी दे रहे हैं क्योंकि कर्नाटक में बाघों की बड़ी आबादी होने के बावजूद मध्य प्रदेश की तुलना में बाघों की मृत्यु दर कम है. 

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एमपी प्रशासन का दावा, बाघों की हो रही पूरी देखभाल
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव जे एस चौहान ने कहा, ‘देश के किसी भी राज्य से मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या अधिक है. यही कारण है कि प्रदेश में सबसे अधिक बाघों की मृत्यु हुई है जो स्वाभाविक है.’ उन्होंने कहा, ‘बाघों के बीच इलाके के लिए हुई आपसी लड़ाई को टाला नहीं जा सकता है. बाघों के लिए यह प्राकृतिक प्रक्रिया है और कई बार इसमें कुछ हादसे भी हो जाते हैं. वृद्धावस्था भी बाघों की मौत का एक और कारण है.’ 

चौहान ने कहा कि वन विभाग केवल अवैध शिकार को रोकने की कोशिश कर सकता है और वह ऐसा करने का प्रयास हमेशा करता है. एसटीपीएफ के गठन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश इसके लिए मंजूरी देने वाला पहला राज्य था लेकिन अभी तक कुछ कारणों के चलते इसका गठन नहीं किया गया है. चौहान ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान प्रदेश की कई बाघिनों ने बाघ शावकों को जन्म दिया है और वर्तमान में राज्य में 120 से अधिक बाघ शावक हैं जिनकी उम्र एक वर्ष से कम है.

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इनपुट: पीटीआई/ भाषा

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