Maharashtra Floor Test: फ्लोर टेस्ट से पहले महाराष्ट्र में बैठकों का दौर, शिंदे-पवार ने विधायकों को दिया मंत्र

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 03, 2022, 11:23 PM IST

महाराष्ट्र में 4 जुलाई को शक्ति परीक्षण

Eknath Shinde Meeting With Mlas: महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट सोमवार 4 जुलाई को होने वाला है और उससे पहले रविवार को सीएम एकनाथ शिंदे ने विधायकों के साथ घंटों लंबी बैठक की है. उद्धव ठाकरे को घेरने के लिए इस बैठक में रणनीति पर विचार किया गया है. इससे पहले विधानसभा के विशेष दो दिवसीय सत्र के पहले दिन भाजपा उम्मीदवार राहुल नार्वेकर को 164 मतों के समर्थन में सदन का अध्यक्ष चुना गया है.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) में पिछले लगभग 1 महीने से चल रहे सियासी घमासान का असल नतीजा सोमवार 4 जुलाई को फ्लोर टेस्ट के तौर पर होगा. फ्लोर टेस्ट से पहले प्रदेश की राजनीति में मैराथन बैठकें हो रही हैं. सीएम एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 39 विधायकों के साथ बैठक की है. उधर उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी महत्वपूर्ण बैठक की है. फ्लोर टेस्ट को लेकर प्रदेश का हर प्रमुख राजनीतिक धड़ा अपने स्तर पर रणनीति तय करने में जुटा है. 

Shiv Sena में व्हिप जारी करने को लेकर विवाद
महाराष्ट्र में स्पीकर के चुनाव को लेकर शिवसेना की ओर से व्हिप जारी किया गया था. पार्टी के दोनों गुटों शिंदे गुट और ठाकरे गुट ने अपने विधायकों को लेकर व्हिप जारी किया था. अब व्हिप जारी करने को लेकर विवाद हो गया है और यह झगड़ा चुनाव आयोग तक पहुंच सकता है. शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि अध्यक्ष चुनने को लेकर 39 विधायकों ने हमारे व्हिप का पालन नहीं किया है. 

शिंदे गुट के पास 39 विधायकों की ताकत है. उद्धव ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य समेत 16 विधायक हैं. ताजा घटनाक्रम में शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने भी शिंदे समेत 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है.

Sharad Pawar ने कहा, मध्यावधि चुनाव के लिए रहें तैयार
एनसीपी चीफ शरद पवार ने भी अपने विधायकों के साथ बैठक की है. बैठक में उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव होने की संभावना है क्योंकि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार अगले छह महीनों में गिर सकती है. 

पवार ने कहा कि शिंदे का समर्थन कर रहे कई बागी विधायक मौजूदा व्यवस्था से खुश नहीं हैं। एक बार मंत्री विभागों का बंटवारा हो जाने के बाद उनकी अशांति सामने आएगी. स्थिति बिगड़ने के बाद कभी भी मध्यावधि चुनाव की नौबत आ सकती है. 


 

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